अनुनाद

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मलय की दो कविताएं

रात में    इस रात में सितारों जैसे हज़ार हज़ार लोगों से मिलता हूं                  हिलता हूं अंदर

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दुष्‍यन्‍त की चार कविताएं

जयपुरवासी दुष्‍यन्‍त ऐसे कविसाथी हैं, जिनसे मेरा लम्‍बा रचनात्‍मक संवाद रहा है लेकिन अनुनाद अभी तक इस संवाद का हिस्‍सा नहीं बन पाया था। हमारे

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दिविक रमेश की कविताएं

वरिष्‍ठ साहित्‍यकार दिविक रमेश से हमें अनुनाद के लिए उनकी ये कविताएं प्राप्‍त हुई हैं, जिनमें समसामयिकता और उसकी अभिव्‍यक्ति के विविध रूप और हस्‍तक्षेप

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एक पागल आदमी की चिट्ठी – विमलेश त्रिपाठी की लम्‍बी कविता

विमलेश त्रिपाठी ने इधर, कहानी और कविता, दोनों में अपनी एक महत्‍वपूर्ण जगह बनाई है। अनुनाद का उनसे आग्रह था कविता के लिए, जिसके जवाब

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जगदीश स्‍वामीनाथन की सात कविताएं

हम कवियों के लिए जगदीश स्‍वामीनाथन चित्रकला की दुनिया में बहुत परिचित और सम्‍मानित नाम है। साम्‍यवादी विचार के हामी और कभी भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी

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कविता जो साथ रहती है / 3 – देवीप्रसाद मिश्र की कविता : गिरिराज किराड़ू

अस्वीकार की अनन्य -गिरिराज किराडू देवी प्रसाद मिश्र इंद्र, आप यहाँ से जाएँ तो पानी बरसे मारूत, आप यहाँ से कूच करें तो हवा चले

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वन्‍दना शुक्‍ल की कविताएं

भोपालवासी कवि-कहानीकार और संगीतज्ञ वन्‍दना शुक्‍ल की कविताएं समकालीन स्‍त्री मुहावरे से बाहर निकलने/होने की जिद से भरी नहीं, बल्कि उसके भीतर अलग स्‍वर में

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