अनुनाद

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अपने जनपद का पक्षी विश्‍व गगन को तोल रहा है (केशव तिवारी की कविता) -शिरीष कुमार मौर्य

आसान नहीं विदा कहना – केशव तिवारी  गद्य के इलाक़े में मेरी यात्रा अभी शुरू ही हुई और इस शुरूआत में मैंने कुछ समीक्षात्‍मक –

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रामजी तिवारी की कविताएं

मैं ब्‍लागपत्रिकाओं में लगातार रामजी तिवारी की कविताएं पढ़ता रहा हूं। उनकी कविताओं में बोली-बानी अलग है…ठेठ देशज संस्‍कार वाली। उनमें ईश्‍वर और मिथक-पुराणों का

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नरेश चन्‍द्रकर की कविताएं

नरेश चन्‍द्रकर मेरे प्रिय अग्रज कवि हैं। उनकी आवाज़ इतनी शान्‍त, गहरी और मद्धम है कि कम ही सुनाई देती है। हिंदी कविता के नाम

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मनोज की कविता पर कुछ नोट्स, जिन्‍हें शायद कविता होना था ….

मनोज कुमार झा के पहले कविता संग्रह पर इस समीक्षा को कविसाथी अरुण देव ने अपनी ब्‍लागपत्रिका समालोचन के लिए किसी ज़िद की तरह लिखवाया

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शिक्षक दिवस पर मेरे प्रिय समाज-राजनीति-साहित्‍य शिक्षक की याद

मेरे प्रिय समाज-राजनीति-साहित्‍य शिक्षक अपनी उधेड़बुनों में एक अज्ञानी कई तरह से उलझता है….मैं भी उलझता हूं….अगर ये उलझनें सच्‍ची हैं तो इनसे बाहर निकालने

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‘वह’ संधिकाल जहाँ एक उम्मीद मिल रही है – कवि की पसन्‍द : कुमार अम्‍बुज

अग्रज और वरिष्‍ठ कवि विनोद कुमार शुक्‍ल के प्‍यारे-से नए कविता संग्रह ‘कभी के बाद अभी’ का शीर्षक बहुत आभार और विश्‍वास के साथ उधार

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विपिन चौधरी की कविताएं

विचित्र लेकिन बहुत सुन्‍दर है आज की, अभी की हिंदी कविता का युवा संसार….कितनी तरह की आवाज़ें हैं इसमें….कितने रंग-रूप…कितने चेहरे…अपार और विकट अनुभव, उतनी

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