आभासी संसार में छपी मेरी नई कविताएं : सब एक जगह : 2012
मेरी इस पोस्ट का मक़सद बस इतना है कि इधर लिखी हुई कविताएं सब एक जगह हो जाएं और कभी वक़्ते-ज़रूरत या कहिए कि वक़्ते-ज़ुर्रत
मेरी इस पोस्ट का मक़सद बस इतना है कि इधर लिखी हुई कविताएं सब एक जगह हो जाएं और कभी वक़्ते-ज़रूरत या कहिए कि वक़्ते-ज़ुर्रत
शमशेर बहादुर सिंह बात शुरु करने से पहले एक प्रश्न – क्या शमशेर की कविता ‘कालातीत की कविता’ है और शमशेर सिर्फ ‘कवियों के कवि’
ये हमारे समय के दो महत्वपूर्ण युवा कवि और उनकी कविताएं हैं। कवियों ने इन्हें अलग-अलग समयों, स्थानों और तनाव में सम्भव किया है। गीत
कुमार विकल आज आज़ादी की सालगिरह है। हर कहीं झंडे फहराए जाए रहे हैं। भारतमाता को याद किया जा रहा है। पैंसठ साल की इस
मैं ब्लागिंग की अपनी शुरूआत में काफी सक्रिय रहा…फिर ग़ायब-सा हो गया या कहिए कि होना पड़ा। इस बीच कुछ बहुत सुन्दर और सार्थक कर दिखाने
अशोक कुमार पांडेय हिंदी की युवा कविता के कुछ सबसे सधे हुए कवियों में है, जिसके सधे हुए होने में भी कुछेक दिलचस्प पेंच हैं।
कपिलेश भोज अनिल कुमार कार्की के अनुनाद पर छपे आलेख से हमने लोकभाषाओं की ओर एक नई राह खोली है। लोकधर्मी रचनाशक्ति की शिनाख़्त हमारे
बिक्रम के ये पद मृत्युंजय के मुख से प्रकट हुए हैं। मृत्युंजय वामदिशा वाले सक्रिय साहित्यकर्मी हैं। कविताएं लिखते हैं, आलोचक हैं और जनवादी कविता
आमतौर पर रोजमर्रा के व्यवहार में तितलियों को आसानी से पहुँच बना सकने वाली मनमौजी स्त्रियों के तौर पर लिया जाता है इसीलिए भारत और दुनिया
असद ज़ैदी आज के दिन हमारे प्रिय अग्रज कवि असद ज़ैदी की यह कविता अनुनाद के पाठकों के लिए…साथ ही परिकल्पना प्रकाशन को शुक्रिया, जहां