विमलेश त्रिपाठी के कविता संग्रह पर महेश पुनेठा का लेख
‘हम बचे रहेंगे’ एक-दूसरे के आसमान में, आसमानी संतरंगों की तरह
‘हम बचे रहेंगे’ एक-दूसरे के आसमान में, आसमानी संतरंगों की तरह
दोस्त रिजवानउस लड़की का क्याजो कर आई थी मुंह कालासुबह के उजास में ? भाई, वह है अबतीन बच्चों की अम्मातीन कोठरी का मकां उसकासोती
चित्र यहां से साभार धागेनतिनकधिन – व्योमेश शुक्ल एक लड़का तबला बजाना सीख रहा है हारमोनियम पर बजते लहरे के साथ अपने उत्साही अपरिष्कार में
फेसबुक पर कभी-कभी बहुत अच्छी कविताएं मिल जाती हैं। अशोक कुमार पांडेय के सौजन्य से यह कविता अभी मिली…जिसे अनुनाद पर लगा देने का लोभ
कात्यायनी हमारे समय की सुपरिचित और महत्वपूर्ण कवि हैं। उनकी ये कविता ‘चक दे’ की चकाचौंध से बहुत पहले की है। इस कविता को बार-बार पढ़ता
अमित उपमन्यु ने अभी हाल में ही कविताएँ लिखना शुरू किया है. कुछ कविताएँ परिकथा के नवलेखन अंक में आई हैं और कुछ अन्य पत्रिकाओं
भगवत रावत नहीं रहे। बहुत प्यार करने वाले बुज़ुर्ग कवि। फोन पर कितनी बातें होती थीं उनसे। वो भारी आवाज़ अब कभी नहीं सुनाई देगी. निकट की कविता का एक पूरा इतिहास घूमने लगता है आंखों के आगे। जानलेवा
नैनीताल के भोटिया मार्केट यानी तिब्बती मूल के लोगों के बाज़ार और तिब्बत को लेकर चल रहे आन्दोलन में उनकी भागीदारी को देखते हुए लगातार
धनुष पर चिड़िया कवि: चंद्रकांत देवताले चयन व संपादन: शिरीष कुमार मौर्य प्रकाशक:शाइनिंग स्टार एवं अनुनाद उत्तराखंड मूल्य:रु.200 धीरे धीरे उम्र की छलॉंगें लगाते हुए
इस वीडियो में गिर्दा होली नहीं गा रहे हैं …ये उनका अलग गीत है पर उनकी याद दिनों दिन बढती ही जाती है और वार-त्यौहार