अंदाजों का गणित – राग तेलंग
रसोईघरों में तीन सौ साठ अंशों की व्यस्तता के फलक में हर लम्हा-हर एक छोटे से कोण में मौजूद दिखतीं स्त्रियाँ नमक-मिर्च, शक्कर, हल्दी-धनिया और
रसोईघरों में तीन सौ साठ अंशों की व्यस्तता के फलक में हर लम्हा-हर एक छोटे से कोण में मौजूद दिखतीं स्त्रियाँ नमक-मिर्च, शक्कर, हल्दी-धनिया और
वहाँ कोई नहीं है मैं भी नहीं वह जो पड़ी है देह हाथ बांधे दांत भींचे बाहर से निस्पन्द भीतर से रह-रहकर सहमती थूक निगलती
मेरा पालतू कुत्ता जो पहले चिडि़यों को हैरत से तका करता और भौंकता था घात लगाने लगा है आजकल उनपर छोटे पिल्ले से जवान होते
एक लम्बे इंतज़ार के बाद जबकि मैं अपना मकान बनवा रहा हूँ…और तरह तरह की मुश्किलों से दो चार हो रहा हूँ तो मुझे रह
थोड़ी ही बच रही हिंदी की समकालीन जनवादी कविता के प्रमुख कवि अदम गोंडवी के दुखद प्रस्थान से अनुनाद शोकसंतप्त है. *** काजू भुने पलेट में, व्हिस्की गिलास
बहुत दिनों बाद किसी उपहार की तरह मनोज कुमार झा की कविताएँ अनुनाद को मिली हैं. युवा हिंदी कविता में बिलकुल नया मुहावरा रचती और
– महेश चंद्र पुनेठा ‘धनुष पर चिड़िया‘ चंद्रकांत देवताले की स्त्रीविषयक कविताओं का संग्रह है जिसका चयन व संपादन युवा कवि व
कभी कभी फेसबुक पर भी कुछ कविताएँ अलग अलग कारणों से अपनी ओर ध्यान खींचती हैं. कल्पना पन्त की कविताएँ भी ऐसे ही मुझे मिलीं. मैंने
इधर नवभारत टाइम्स का दीपावली अंक आया है। उसमें सम्मिलित यतीन्द्र की एक कविता और उनके कविकर्म पर दो आलोचकीय टिप्पणियां अनुनाद के पाठकों के
यादवेंद्र जी अनुनाद के सबसे सक्रिय सदस्य हैं। इधर मेरे कुछ निष्क्रिय होने पर उनके अनुवादों ने ही अनुनाद को सहारा दिया है। वे कविता के