गिरिराज किराड़ू की नई कविताएं
ये गिरिराज किराड़ू के साथ-साथ ‘मीर के अब्बू’ की भी कविताएं हैं, यानी आदमी हो रहे दरख़्त की। इन्होंने गिरिराज किराड़ू की कविता होने में
ये गिरिराज किराड़ू के साथ-साथ ‘मीर के अब्बू’ की भी कविताएं हैं, यानी आदमी हो रहे दरख़्त की। इन्होंने गिरिराज किराड़ू की कविता होने में
गिरिाराज किराड़ू ने इस बार न सिर्फ़ अपने बल्कि मेरी समझ के भी बहुत क़रीब के कवि महेश वर्मा पर लिखा है। यह कविता मेरे
मैंने दो पोस्ट पहले थकान और कुछ निजी वजहों से अनुनाद पर गतिविधियों के शिथिल रहने की बात कही थी, मेरा हाल वैसा ही है
के पी सिंह नामक एक सज्जन ने मुझे आठ कविता वालपेपर अपनी इस टिप्पणी के साथ भेजे हैं – ”इस तरह फोटोशाप वाले पोस्टर हाथ
अँधेरे के वे लोग अँधेरे में छिपे वे लोग कभी दिखते नहीं दिन के उजालों में भी अदृश्य वे सड़क चलते आवारा कुत्ते डरते
बेहद सतर्क एवं चौकन्नी दृष्टि की कविताएं
आज साथी कवि तुषारधवल का जन्मदिन है और अनुनाद इस मौके पर उनकी चर्चित कविता काला राक्षस का पुनर्प्रकाशन कर रहा है। यह कविता इससे
अनुनाद पर सुप्रसिद्ध कवि गिरिराज किराड़ू के महत्वपूर्ण स्तम्भ ‘कविता जो साथ रहती है’ के तहत इस बार प्रस्तुत है असद ज़ैदी की कविता ‘आम
भीतर-बाहर की आवाजाही पिछले दिनों युवा कवि अमित श्रीवास्तव का पहला कविता संग्रह’बाहर मैं …मैं अन्दर ‘ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है . इस संग्रह
कविता का नियमित पाठक और कार्यकर्ता होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि युवा कवि नित्यानन्द गायेन की कविताओं ने पिछले कुछ समय से