अनुनाद

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माँ का अंतर्द्वन्‍द्व – महेश पुनेठा की लम्‍बी कविता

मैं कविता में मनुष्‍यता के लम्‍बे आख्‍यानों का बहुत सम्‍मान करता हूं। साथी कवि महेश पुनेठा ने यह लम्‍बी कविता पढ़ने को भेजी तो उनसे

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अमित श्रीवास्‍तव की नई कविता

अमित श्रीवास्‍तव की यह कविता स्‍थान विशेष तक सिमट कर नहीं रह जाती, अपनी वैचारिक क्षमता और घुप्‍प अंधेरे बिम्‍बों की भयावहता के बीच देश

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मृत्‍युंजय की कविताएं

           चर्चित युवा कवि मृत्‍युंजय अनुनाद पर लगातार छपते रहे हैं। उनकी कविताएं मिलना हमेशा ही अनुनाद के लिए सुखद अनुभव होता है। कहना ही

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नीलाम्‍बुज की कविताएं

आज प्रस्‍तुत हैं युवा कवि नीलाम्‍बुज की कुछ कविताएं। इनमें कहीं कच्‍चापन है मगर भरपूर ताज़गी भी। अनुनाद कवि को आगे की अधिक विचारवान एवं

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क्या इसे उपेक्षणीय माना जाए – कुमार अम्‍बुज

यह अत्‍यन्‍त गम्‍भीर मसला है। अनुनाद के लिए सौरभ राय को मिले सूत्र सम्‍मान का विवरण और उनकी नई कविताएं मैंने स्‍वयं उन्‍हीं से अनुरोधपूर्वक

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सूत्र सम्‍मान : समारोह का संक्षिप्‍त विवरण, सम्‍मानित कवि सौरभ राय का वक्‍तव्‍य और कविताएं

इस वर्ष का सूत्र सम्‍मान सौरभ राय को दिया गया। उनकी कविताएं पाठक पहले अनुनाद पर पढ़ चुके हैं। अनुनाद कवि को सम्‍मानित होने की

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समकालीन कविता के कोनों और हाशियों की ओर ध्यान खींचती आलोचना – महेश चंद्र पुनेठा

                                            आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण इसके लिखे जाने में

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