गए अक्टूबर से अब तक की कविताएं : सब एक जगह
इनमें से कुछ कविताएं छपी, कुछ अनछपी हैं। कई बार अपनी कविताएं खो चुका हूं सो साल में एक बार अनुनाद पर ‘सब एक जगह‘
इनमें से कुछ कविताएं छपी, कुछ अनछपी हैं। कई बार अपनी कविताएं खो चुका हूं सो साल में एक बार अनुनाद पर ‘सब एक जगह‘
मैं कविता में मनुष्यता के लम्बे आख्यानों का बहुत सम्मान करता हूं। साथी कवि महेश पुनेठा ने यह लम्बी कविता पढ़ने को भेजी तो उनसे
अमित श्रीवास्तव की यह कविता स्थान विशेष तक सिमट कर नहीं रह जाती, अपनी वैचारिक क्षमता और घुप्प अंधेरे बिम्बों की भयावहता के बीच देश
चर्चित युवा कवि मृत्युंजय अनुनाद पर लगातार छपते रहे हैं। उनकी कविताएं मिलना हमेशा ही अनुनाद के लिए सुखद अनुभव होता है। कहना ही
आज प्रस्तुत हैं युवा कवि नीलाम्बुज की कुछ कविताएं। इनमें कहीं कच्चापन है मगर भरपूर ताज़गी भी। अनुनाद कवि को आगे की अधिक विचारवान एवं
यह अत्यन्त गम्भीर मसला है। अनुनाद के लिए सौरभ राय को मिले सूत्र सम्मान का विवरण और उनकी नई कविताएं मैंने स्वयं उन्हीं से अनुरोधपूर्वक
इस वर्ष का सूत्र सम्मान सौरभ राय को दिया गया। उनकी कविताएं पाठक पहले अनुनाद पर पढ़ चुके हैं। अनुनाद कवि को सम्मानित होने की
मेरे लिए वंदना शुक्ल का नाम आज की कविता में कुछ अलग तरह से लिखनेवाले कवियों में हैं। उनकी भाषा, कविता का बाहरी और भीतरी
आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण इसके लिखे जाने में
It is midnight I keep awake, all by myself To see the midnight colors, they Have silent is vibrant and Rhythm eloquent- The midnight colors-