अनुनाद

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अरुण श्री की कविताएं

अरुण श्री की कविताएं संभवत: मैंने पहली बार असुविधा ब्‍लाग पर पढ़ी और वे मुझे लगा कि इधर फेसबुक पर तैयार हो रही एक नई

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शैलजा पाठक की कविताएं

शैलजा पाठक की ये कविताएं मेल में मिलीं। इन्‍हें पढ़ना शुरू किया तो लगा एक अनगढ़ वृत्‍तान्‍त के कई सिरे खुलते जा रहे हैं। यह

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लोक और कविता – 1 /लोक की अवधारणा तथा लोकधर्म – जितेन्द्र कुमार

लोक की अवधारणा को बिलकुल नए अध्येता अब मिल रहे हैं। मेरे दो विद्यार्थी जितेन्द्र कुमार और शिव प्रकाश त्रिपाठी इसी सत्र में शोध के

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मैं सुनने आया कविता मुझे अख़बार सुनाया गया – कमल जीत चौधरी की नई कविताएं

कमल जीत चौधरी हिंदी की युवतर कविता में अब एक ख़ूब जाना-पहचाना नाम है। हिंदी की बड़ी पत्रिकाओं ने ख़ुद को जब बड़े या अधिक

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नागार्जुन का काव्‍य-व्‍यंग्‍य – शिवप्रकाश त्रिपाठी

वैद्यनाथ मिश्रा,यात्री या फिर  सबसे प्रसिद्ध  व लोकप्रिय नाम बाबा नागार्जुन  हिंदी एवम् मैथिली साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध नाम हैं|उनका साहित्य के क्षेत्र

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इतिहास जहाँ पर चुप हो जाता है, कविता बोलती हैै : केशव तिवारी के नए कविता संग्रह ‘तो काहे का मैं’ पर महेश पुनेठा का आलेख

कवि का रेखाचित्र : कुंवर रवीन्‍द्र लोकधर्मिता, न गाँव के दृश्य या घटनाओं को कविता में लाना भर है ,न पेड़-पत्ती-फूल की बात करना मात्र

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विमलेश त्रिपाठी की प्रेम कविताएँ

सुपरिचित युवा कवि-‍कथाकार विमलेश इन दिनों प्रेम कविताओं के संग्रह की तैयारी में हैं। ये कविताएं उसी संग्रह की पांडुलिपि से। ये कविताएं बताती हैं

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