नरेश सक्सेना की कविता
धातुएंसूर्य से अलग होकर पृथ्वी का घूमना शुरू हुआ शुरू हुआ चुंबकत्व धातुओं की भूमिका शुरू हुई धातु युग से पहले भी था धातु युग
धातुएंसूर्य से अलग होकर पृथ्वी का घूमना शुरू हुआ शुरू हुआ चुंबकत्व धातुओं की भूमिका शुरू हुई धातु युग से पहले भी था धातु युग
कवि के परिचय और अनुवादक के पूर्व कथन के लिए यहाँ क्लिक करें ! ख़ाली टोकरियां भोर होते होतेदिखाई पड़ती हैं कई ख़ाली टोकरियांरसोई में
सादी यूसुफ़ की कविता (अनुवाद : अशोक पाण्डे) फ़कीर एक रात बीतने ही वाली थी जब कवियों ने प्रस्थान किया एक-एक कर उनके पास इतनी
(`ज़हरीली हवा` से) ग़ैब से चलने लगी जब एक ज़हरीली हवा। दिल के फफोलों से भरी किस-किसके नालों से भरी ख़ामोश चीखों से भरी यह
आपने पहली किस्त में माजिद नफ़ीसी के जीवन और उनकी दिवंगता पत्नी पर टिप्पणी पढ़ी और एक कविता भी। इन सारी चीज़ों को मेरे लिए
ईरानी समाज के बारे में कहा जाता है कि कविता वहाँ भद्र जनों के जीवन का ही हिस्सा नहीं है बल्कि आम आदमी अपने दैनिक
युवा घंटी बजाकर आपके दरवाज़े के सामने जो उदग्र युवा कान से मोबाइल सटाए हुए मुस्करा रहा है वह मूलत: इंजीनियर है ऐश्वर्य के जगमगाते
विशाल श्रीवास्तव की कविताएँ विशाल महत्वपूर्ण युवा कवि हैं। उन्हें 2005 का `अंकुर मिश्र कविता पुरस्कार´ मिला है। उनकी कविताएँ संवेदना के स्तर एक अजब-सी
विजयशंकर चतुर्वेदी की कविता पुस्तक पृथ्वी के लिए तो रुको के प्रकाशन की सूचना मैं पहले ही अनुनाद पर लगा चुका हूं। सूचना लगाते हुए
पिछली पोस्ट से जारी… कुछ और हाइकू 1.मैं चाहता हूंकि हर साल शुरू होतो शुरू हो शनिवार से 2.ऐसा कोई आह्लाद नहींजो ज़्यादा आह्लादकारी कोआह्लाद