मारिओ बेनेदेती की कविताएं – पहली किस्त
अंग्रेज़ी साहित्यिक दुनिया में भले ही मारिओ बेनेदेती को उतना न जाना जाता हो पर लैटिन अमरीका के साहित्यिक जगत में उन्हें सदी के खूब
अंग्रेज़ी साहित्यिक दुनिया में भले ही मारिओ बेनेदेती को उतना न जाना जाता हो पर लैटिन अमरीका के साहित्यिक जगत में उन्हें सदी के खूब
आजकल नागार्जुन, त्रिलोचन और केदारनाथ अग्रवाल (नाथ और अग्रवाल इसलिए कि अब कुछ लोग केदार का तात्पर्य सिर्फ़ केदारनाथ सिंह लगाते हैं) की कोई परम्परा
हरीशचंद्र पाण्डे की कविताएँ अनुनाद के पन्ने पर टीप – हरीशचंद्र पाण्डे हिंदी कविता के एक सीधे-सादे और सच्चे नागरिक हैं, इतने कि उनकी सरलता
अशोक पांडे की कविताएँ अनुनाद के पन्ने पर टीप – अशोक पांडे अन्य भाषाओँ से हिंदी में होने वाले अनुवाद की दुनिया का एक सुपरिचित
राजेन्द्र कैड़ा की कविताएँ अनुनाद के पन्ने पर टीप : राजेन्द्र बिना शीर्षक की कविताएँ लिखते हैं, जिनमें एक प्रबल भावावेग निरन्तर जारी रहता है।
हमारे लोकतंत्र के महापर्व के दौरान और उसके बाद के तामझाम को देखकर एवं शुभा की कविताओं की दूसरी किस्त (धीरेश जी को धन्यवाद सहित)
भारतभूषण तिवारी ने अपनी ये दो कवितायें अनुनाद के अनुरोध पर भेजी हैं और अपने तथा अपनी कविता के विषय में महज इतना कहा है
टूटना (1) एक और एक दो नहीं होते एक और एक ग्यारह नहीं होते क्योंकि एक नहीं है एक के टुकड़े हैं जिनसे एक भी
इससे पहले अनुनाद के प्रिंट एडिशन से हम नरेश चंद्राकर, व्योमेश शुक्ल और वीरेन डंगवाल की कवितायें यहाँ लगा चुके हैं। सोचा कि अनुनाद में
पेड़ों की उदासीपेड़ों के पास ऐसी कोई भाषा नहीं थी जिसके ज़रिये वे अपनी बात इन्सानों तक पहुंचा सकें शायद पेड़ बुरा मान गए किसी