एक मध्यप्रदेशीय सामन्ती क़स्बे के आकाश पर…
यह कविता पहली बार यहाँ प्रकाशित हुई चित्रकृति : शिवकुमार गांधी(प्रतिलिपि से साभार) वहाँ फ़िलहाल कुछ लड़कियों के कपड़े टंगे हैं सूखने को और सपने
यह कविता पहली बार यहाँ प्रकाशित हुई चित्रकृति : शिवकुमार गांधी(प्रतिलिपि से साभार) वहाँ फ़िलहाल कुछ लड़कियों के कपड़े टंगे हैं सूखने को और सपने
नेरूदा ने आलोचना को राजगीर का हाथ, इस्पात की रेखा, और सामाजिक तबकों की धड़्कन कहा था। यह आलोचना की जनपक्षधरता की और महज़ पुस्तकों
इस कविता का प्रथम प्रकाशन यहाँ हुआ है ! मैं उसेएक बूढ़ी विधवा पड़ोसन भी कह सकता थालेकिन मैं उसे सत्तर साल पुरानी देह में
यहाँ पंकज चतुर्वेदी की तीन कवितायें और प्रस्तुत हैं। हिंदी के कुछ समकालीन कवि( अग्रज भी और हमउम्र भी) उन्हें महज एक महत्वपूर्ण युवा आलोचक
चुनाव की परम पावन (परम पतित) बेला में पंकज चतुर्वेदी की इस कविता का हाथ लगना सुखद है। हमारी आज की राजनीति मुख्य रूप से
अनुवादक के पूर्वकथन के लिए यहाँ क्लिक करें ! अनंत आज आज फिर एक दोस्त के मरने की ख़बर आयी अंततः तो हम सभी को
कवि का परिचय कू सेंग का जन्म सीओल में 1919 में हुआ और वहीं 11 मई 2004 में उनका देहान्त हुआ। उनके शैशवकाल में ही
विजय गौड़ लंबे समय से कविता लिखते आ रहे हैं। उनका संकलन भी अभी कुछ दिन पहले आया है। वे लिखो यहाँ वहाँ नाम से
कू सेंग की कविताओं के सिलसिले को एक बार और तोड़ा जा रहा है। कारण है हमारे समय के बहुत ज़रूरी कवि पंकज चतुर्वेदी की
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