वीरेन के साथ पूरी आधी सदी – बटरोही
वीरेन डंगवाल पर उनके आत्मीय मित्र कथाकार बटरोही की लम्बी टिप्पणी मैं फेसबुक से साभार ले रहा हूं। बटरोही से वीरेन
वीरेन डंगवाल पर उनके आत्मीय मित्र कथाकार बटरोही की लम्बी टिप्पणी मैं फेसबुक से साभार ले रहा हूं। बटरोही से वीरेन
1०वाँ विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन 10-12 सितम्बर 2015 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संपन्न हुआ वैश्विक
“जब होवेगी उम्र पुरी, तब टूटेगी हुकुम हुजूरी, यम के दूत बड़े मरदूद, यम से पडा झमेला” (पंडित स्व कुमार गन्धर्व
‘कविता लिखने के लिए कवि होना ज़रूरी नहीं। ’ ये ब्रह्म वाक्य मुझे एक ‘कविता: कल, आज, कल और परसों’ नामक
हमारे वक़्त के ये यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, जिन्हें इन्हीं में से चुराकर मैंने ऊपर एक शीर्षक दे दिया है। यक्ष पूछता है
गंदे पोस्टकार्ड अविनाश मिश्र मेरी एकांतप्रियता का जन्म तब हुआ जब लोगों ने मेरी वाचाल त्रुटियों की प्रशंसा प्रारंभ की और
निराला की लम्बी कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ की नाट्य प्रस्तुति के लिए सुपरिचित युवा कवि व्योमेश शुक्ल और रंगमंडल ‘रूपवाणी’ इन
विपिन चौधरी की लिखी जीवनी मैं रोज़ उदित होती हूं :माया एंजेलो का विद्रोही जीवन से एक अंश 1950 के दशक
यह अत्यन्त गम्भीर मसला है। अनुनाद के लिए सौरभ राय को मिले सूत्र सम्मान का विवरण और उनकी नई कविताएं मैंने
(इस लेख को मेल द्वारा भेजते हुए सूचित किया गया है कि इसे मूलत: जनसत्ता के लिए लिखा गया था किन्तु