ज़िंदादिली का दूसरा नाम : कृष्णा सोबती – विपिन चौधरी
कृष्णा सोबती का होना हिंदी कथा जगत की उपलब्धि है। अनुनाद की साथी कवि विपिन चौधरी ने उन पर अपना आत्मीय
कृष्णा सोबती का होना हिंदी कथा जगत की उपलब्धि है। अनुनाद की साथी कवि विपिन चौधरी ने उन पर अपना आत्मीय
क्या शानदार शवयात्रा थी तुम्हारी कि जिसकी तुमने जीते जी कल्पना भी न की होगी। ऐसी कि जिस पर बादशाह और
अचानक कवि मंगलेश डबराल की फेसबुक वॉल पर यह निबन्ध किसी उपहार की तरह मिला। बहुत पहले संगीत की ओर बुज़र्ग
बहुत समय कवि-कथाकार अनिरुद्ध उमट से सम्पर्क हो पाया है। उमट ख़ामोशी से काम करने वाले लेखक हैं। यहां छप रहे
यक्ष -युधिष्ठिर संवाद हमने पहले भी अनुनाद पर साझा किए थे, जिन्हें आप यहां पढ़ सकते हैं। उसी क्रम में यह
मन में ‘लोक’ शब्द आते ही स्मृति में भी ‘तीन प्रसंग’ आ जाते हैं एक में कबूतरी देवी गा रही हैं;
पूर्वकथन- अँधेरी आधी रात का पीछा करती गहरी घनेरी नींद | नींद में मैं, सपना और दादाजी | दादा जी सपनों
हिंदी की कथा और कविता,दोनों में, प्रेमपत्र बहुत दिव्य किस्म की भावुकता का शिकार पद है। कहना न होगा कि प्रेमपत्र
“नाम है-रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’। ज़िला सुल्तानपुर के मूल निवासी। नाटा कद, दुबली काठी, सांवला रंग, उम्र लगभग 50 के आसपास, चेहरा
परिवर्तन की गहरी उम्मीद से भरा हुआ कवि हर बड़े कवि में ऐसी कुछ खासियतें होती हैं, जो उस कवि