वो कई दूसरे जो मैं हुआ करते थेः मेरिटोक्रेसी पर एक विलाप – गिरिराज किराडू Anunad July 19, 2009 1साहित्य की जिस एक चीज़ ने मुझे मेरे लड़कपन में सबसे ज्यादा आकर्षित किया था, जिस एक चीज़ से सबसे ज्यादा Read More...
बतकही ……2 Anunad March 26, 2009 व्योमेश शुक्ल की यह प्रश्नोत्तरी सापेक्ष के आलोचना महाविशेषांक से – दूसरी तथा अन्तिम किस्त आपकी नज़र में समकालीन लेखन की Read More...
बतकही …. Anunad March 25, 2009 व्योमेश शुक्ल की यह प्रश्नोत्तरी सापेक्ष के आलोचना महाविशेषांक से – पहली किस्त अपनी रचना-प्रक्रिया पर प्रकाश डालिए। आलोचना में रुचि Read More...
गीत चतुर्वेदी की डायरी पर गिरिराज किराडू की चिट्ठी … Anunad January 19, 2009 मित्रो !सबद पे गीत चतुर्वेदी की डायरी के अंश प्रकाशित हुए हैं जिनमें उन्होंने कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में बात Read More...
एक अदृश्य सत्ता : जान पिल्गर : अनुवाद – अनिल Anunad December 20, 2008 (हमारे समय में चेतना की धार को कुंद करने वाले शब्दों को उसके सही और वास्तविक मायनों में व्याख्यायित करने वाले Read More...