अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

समकालीन कविता के कोनों और हाशियों की ओर ध्यान खींचती आलोचना – महेश चंद्र पुनेठा

                                            आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण

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कविता जो साथ रहती है : 5/ असद ज़ैदी की कविता पर गिरिराज किराड़ू

अनुनाद पर सुप्रसिद्ध कवि गिरिराज किराड़ू के महत्‍वपूर्ण स्‍तम्‍भ ‘कविता जो साथ रहती है’ के तहत इस बार प्रस्‍तुत है असद

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अमित श्रीवास्‍तव के कविता संग्रह पर युवा कवि महेश पुनेठा की टिप्‍पणी

भीतर-बाहर की आवाजाही पिछले दिनों युवा कवि अमित श्रीवास्तव का पहला कविता संग्रह’बाहर मैं …मैं अन्दर ‘ शीर्षक से प्रकाशित हुआ

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