कृष्ण कल्पित की बारह कविताएं
कवि कृष्ण कल्पित ‘भारतनामा’ शीर्षक से कविता की एक सिरीज़ लिख रहे हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर बधाई देते हुए
कवि कृष्ण कल्पित ‘भारतनामा’ शीर्षक से कविता की एक सिरीज़ लिख रहे हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर बधाई देते हुए
मुझे कुछ ही देर पहले ये कविताएं मिली हैं और मैं इन्हें एक सांस में पढ़ गया हूं। आज और अभी
हिंदी में बहुत सारी रॉ एनर्जी है। वह उतनी अनगढ़ है, जितना एक मनुष्य को होना चाहिए। उसे बाहर से साधना
नहीं जानता कि अनुपम सिंह पहले किन पत्रिकाओं में मौजूद रही हैं और कवि के रूप में उनकी यात्रा अब तक
अमित ने अपनी कविताओं में कई स्तरों पर प्रयोग किए हैं। उनमें कुंभ पर लिखी एक कविता मेरी याद में सबसे
तीस छोटी कविताएँ 1. प्रेमियों का एकांत …और जबकि इतनी धूप खिली है प्यार कैसे तुमको छू रहा है क्या अब भी आकाश के किसी कोने में प्रेमियों का एकांत है? 2. नदी, पत्ती और प्रेम कई बार नदी पर तैरती
आशीष बिहानी की कविताएं अनुनाद पर कुछ दिन पहले ही लगनी थीं पर नेट की रफ़्तार ने साथ नहीं दिया। इस
पंकज समर्थ आलोचक और प्रिय कवि हैं। अनुनाद की स्थापना से ही उनका इस पत्रिका से गहरा लगाव रहा है। अनुनाद
अग्रज कवि वीरेन डंगवाल के लिए ये दो कविताएं, जो मेरे इस बरस ‘आए-गए’ संग्रह ‘खांटी कठिन कठोर अति’ में शामिल
जबकि हमारी अपनी ही स्मृतियां निर्जनता के कगार पर खड़ी हैं, अशोक तीन बुज़ुर्गों से कविता में संवाद कर रहा है।