अनुनाद

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नवल अल सादवी : अनुवाद एवं प्रस्तुति – सुबोध शुक्ल / 2

नवल अल सादवी स्त्री-संतति के प्रति यौन दुराचार सभी बच्चे जो सामान्य और स्वस्थ पैदा होते हैं खुद को सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में महसूसते

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नवल अल सादवी : अनुवाद एवं प्रस्तुति – सुबोध शुक्ल / 1

(सुबोध शुक्ल हिंदी के तेजस्वी युवा हैं। कुछ समय पहले उनके सम्पादन में पश्चिम के स्त्रीवादी चिंतन पर एक महत्वपूर्ण किताब ‘गूंगे इतिहासों की सरहदों

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उपासना झा की कविताएं

उपासना झा ने इधर अपनी कविताओं से एक मौलिक पहचान हिंदी-जगत में बनाई है। हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण ब्लाग्स पर उनकी कविताएं पिछले कुछ समय

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संदीप तिवारी की कविताएं

संदीप तिवारी नौउम्र विद्यार्थी हैं। संयोग है कि मेरे ही निर्देशन में पी-एच.डी. के लिए एनरोल्ड हैं। संदीप की कुछ कविताएं उनकी फेसबुक दीवार से

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स्त्री-कविता का सामाजिक स्वर और शुभा की कविताएँ – आशुतोष कुमार

आलोकधन्वा  की  कविता “भागी  हुई  लड़कियां” १९८८ में छपी . यह  घटना  हिंदी कविता के इतिहास  में  एक मील का   पत्थर है . इसके  बाद 

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यहां कविता में पुराने छंद चाहे न आ रहे हों किन्तु उन छंदों की लय आज भी बची हुई है – वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह से महेश पुनेठा की बातचीत/3

                                      महेश चंद्र पुनेठा – आप कविता के केंद्र में मनुष्य भाव को मानते हैं.कविता ही मनुष्य भाव की रक्षा करती है.यह अच्छी कविता

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