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चेतना को झकझोरते “भीड़ और भेड़िए” के व्यंग्य/ आर पी तोमर
कैनेडा में वर्षों से रह रहे भारतवंशी व्यंग्यकार धर्मपाल महेंद्र जैन अब वह नाम हो गया है, जिनकी पहचान भारत के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकारों में

हिन्दी साहित्य और न्यू मीडिया /देवेश पथ सारिया से मेधा नैलवाल का साक्षात्कार
मेधा : हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते हैं ? देवेश : हिंदी साहित्य का न्यू मीडिया से संबंध

पॉंच लघुकथाएं/ सुनील गज्जाणी
पानी “यूँ एक टक क्या आकाश को ताक रहे हो?” “नहीं, बादलों को!” “मगर आकाश तो एक दम सूखा है रेगिस्तान की

सबको अपने हिस्से की धूप चाहिए/ कौशलेन्द्र की कविताएं
छद्म रात की स्याही में चाँद चंद्रबिंदु के समान चमक रहा था अनगिनत तारे अनंत आकाश ज़मीं पर दूर तक फैली रेत रेत

मकान मालकिन (रोऑल्ड ढल)/हिंदी अनुवाद : श्रीविलास सिंह
बिली वीवर लंदन से अपराह्न वाली धीमी गति की रेलगाड़ी से, रास्ते में स्विंडन में गाड़ी बदलता हुआ, यात्रा करके आया था। जिस समय वह

सफेद धुआं बन जाने से पहले, वह जी लेना चाहता हो हर रंग/ रंजना जायसवाल की कविताऍं
सेमल का फूल चैत के महीने में बिखरे घमाते सेमल के फूल अलसाये उनींदे फिर भी मुस्कुराते सेमल के

फिलहाल तो उसके हाथों में लग गया है सिसौंण/हरि मृदुल की कविताएं
बौज्यू कब से कह रहे थे कि गांव ले चलो ले चलो गांव बस एक बार इसे मेरी आखिरी बार की ही यात्रा समझो

एक कवि और करता क्या है दरार की नमी बनने के आलावा/शंकरानंद की कविताएं
नदी का पानी (अरुण कमल के लिए ) पहाड़ से गिरता हुआ पानी नहीं जानता कि उसे जाना कहाँ है वह मिठास और चमक के

मिलती रही मंज़िलों की खबर ग़म-ए- दौराँ की उदासियों से भी/शुभा द्विवेदी की कविताएं
कुछ सीखें बच्चों की बड़ों के लिए कितना कुछ बचा लेते हैं ये नन्हे-नन्हे हाथ: धरती भर मानवता अंबर भर संवेदनाएँ वसंती