अनुनाद

अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है-  देवेन्द्र आर्य

                                ग़ालिब एक सांसारिक कवि हैं। मोह-लिप्त मगर माया-निर्लिप्त। दुनियाबी रंगीनियों को अगर होठों से पीने में हाथ साथ

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वर्तमान समय की विद्रूपता और विसंगतियों का रेखांकन – दीक्षा मेहरा

खेमकरण ‘सोमन’ के कविता संग्रह ‘नई दिल्‍ली दो सौ बत्‍तीस किलोमीटर’ में संकलित सभी कविताएँ भोगे हुए जीवन-यर्थाथ की सहज अभिव्यक्तियां हैं। जीवन

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थक जाते थे हम कलियाँ चुनते – प्रचण्‍ड प्रवीर (बाल साहित्‍य/कविता पर आलेख)

इक्‍कीसवीं सदी के आरम्‍भ में हिन्‍दी में जिन महत्‍वपूर्ण कथाकारों की आमद हुई है, प्रचण्‍ड प्रवीर उनमें बेहद ख़ास और अलग

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साहित्‍य ज़माने भर से किया जानेवाला इश्‍क़ है – कुमार अम्‍बुज

साहित्‍य में संगठनों की प्रासंगिकता पर बहस लगातार बढ़ी है। वैचारिक प्रतिरोध और विमर्श के लिए व्‍यक्तिकेंद्रित गैरवैचारिक समूहों के बरअक्‍स

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