चंद्रकांत देवताले की कविता में स्त्री पक्ष – सुनीता
चंद्रकांत देवताले की कविता में स्त्री पक्ष चंद्रकांत देवताले साठोत्तरी कविता के प्रमुख कवि हैं, जिनकी कविता
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आलोकधन्वा की कविता “भागी हुई लड़कियां” १९८८ में छपी . यह घटना हिंदी कविता के इतिहास में एक मील का पत्थर
ठंड से नहीं मरते शब्द वे मर जाते हैं साहस की कमी से केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के
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पहले हिस्से के लिए इस लिंक पर जाएं अशोक कुमार कम लिखते हैं . छपते लगभग नहीं हैं . तीन दशकों
युवा कवि कमल जीत चौधरी से अनुनाद का आग्रह था कि जम्मू-कश्मीर की कविता की पड़ताल करें। उन्होंने एक लम्बा लेख
भीष्म साहनी के नाटकों में शायद “माधवी” ही है जिसकी चर्चा सबसे कम हुई है बावजूद इसके कि वह पौराणिक कथा
गीता गैरोला की संस्मरण पुस्तक की समीक्षा मैं याद को केवल जगह (स्पेस) नहीं मानता और न वर्तमान से पलायन
अनिल कार्की संभावनाओं का एक नाम है और महेश पुनेठा सुपरिचित कवि-समीक्षक। महेश पुनेठा का अनिल के संग्रह पर लिखना सुखद