अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

एक पागल आदमी की चिट्ठी-सी विकल कविता – विमलेश त्रिपाठी की दो लम्बी कविताओं पर रसाल सिंह का लेख

विमलेश त्रिपाठी समकालीन समय के सर्वाधिक संभावनाशील और विश्वसनीय युवा साहित्यकार हैं। उन्होंने हम बचे रहेंगे, एक देश और मरे हुए

Read More...

हल और हलंत के कवि: अष्टभुजा शुक्ल के कविता संग्रह पर आशीष मिश्र

इस समीक्षा का मूल रूप ‘पक्षधर’ में छपा है। यहां इसे संशोधन (समीक्षक के शब्दों में काफ़ी जोड़-घटाव)  के उपरान्त पुन:प्रकाशित

Read More...

अँधेरे से बाहर उम्मीद और रौशनी की कविताएं : राहुल देव के कविता संग्रह पर विनोद कुमार

‘उधेड़बुन’ हर सजीव प्राणी के अन्दर कभी न कभी अवश्य होती है | छोटे लोगों के पास अपनी छोटी उधेड़बुनें हैं

Read More...

प्रांजल और वेगवान कविताएं : विमलेश त्रिपाठी के नए कविता संग्रह पर ब्रज श्रीवास्तव

‘ इधर की कविता का असली चेहरा तो वो है जिसका सौन्दर्य शास्त्र थोड़ा अलग है,अगर इस कविता ने बिना रस,छंद,

Read More...

युगीन जटिलताओं के मध्य आदमी और उसके समय का आख्यान रचती कविताएं – राहुल देव

(राहुल देव युवा समीक्षक हैं। अभी उन्‍होंने असुविधा ब्‍लॉग पर आत्‍मारंजन के कविता संग्रह पर बहुत सधी हुई समीक्षा लिखी है।

Read More...
error: Content is protected !!
Scroll to Top