मृत्यु पर जीवन की विजय के कवि शेरदा
शेरदा अनपढ़ की कविता पर अनिल कार्की की लम्बी टिप्पणी हम कितने आशावान और कितने निश्चित हैं अपने आने वाले दिनों को लेकर?
शेरदा अनपढ़ की कविता पर अनिल कार्की की लम्बी टिप्पणी हम कितने आशावान और कितने निश्चित हैं अपने आने वाले दिनों को लेकर?
अस्वीकार की अनन्य -गिरिराज किराडू देवी प्रसाद मिश्र इंद्र, आप यहाँ से जाएँ तो पानी बरसे मारूत, आप यहाँ से कूच
कवि की तस्वीर रविवार से साभार गिरिराज किराड़ू ने अपने स्तम्भ की दूसरी कविता के रूप में विनोद कुमार शुक्ल की
सल्वादोर डाली : गूगल इमेज से साभार नवीन सागर की कविता उनके प्रस्थान के बाद भी बची हुई है, बची रहेगी।
आसान नहीं विदा कहना – केशव तिवारी गद्य के इलाक़े में मेरी यात्रा अभी शुरू ही हुई और इस शुरूआत में
मनोज कुमार झा के पहले कविता संग्रह पर इस समीक्षा को कविसाथी अरुण देव ने अपनी ब्लागपत्रिका समालोचन के लिए किसी
शमशेर बहादुर सिंह बात शुरु करने से पहले एक प्रश्न – क्या शमशेर की कविता ‘कालातीत की कविता’ है और शमशेर
कुमार विकल आज आज़ादी की सालगिरह है। हर कहीं झंडे फहराए जाए रहे हैं। भारतमाता को याद किया जा रहा है।
कुमाऊंनी कविता की दशा-दिशा के बहाने गिर्दा यह कुमाऊंनी कविता के बदलते हुए प्रतिमान और शिल्प की बात है। जब भी
सुषमा नैथानी मूलत: जीन-विज्ञानी हैं। नैनीताल में उसी विश्वविद्यालय में पढ़ी हैं, जिसमें मैं भी पढ़ा हूं और अब पढ़ाने की