कविता की सजग आँखों में अब भी एक शिकायत भरी प्रतीक्षा है
कुमार विकल आज आज़ादी की सालगिरह है। हर कहीं झंडे फहराए जाए रहे हैं। भारतमाता को याद किया जा रहा है।
कुमार विकल आज आज़ादी की सालगिरह है। हर कहीं झंडे फहराए जाए रहे हैं। भारतमाता को याद किया जा रहा है।
कुमाऊंनी कविता की दशा-दिशा के बहाने गिर्दा यह कुमाऊंनी कविता के बदलते हुए प्रतिमान और शिल्प की बात है। जब भी
सुषमा नैथानी मूलत: जीन-विज्ञानी हैं। नैनीताल में उसी विश्वविद्यालय में पढ़ी हैं, जिसमें मैं भी पढ़ा हूं और अब पढ़ाने की
‘हम बचे रहेंगे’ एक-दूसरे के आसमान में, आसमानी संतरंगों की तरह
धनुष पर चिड़िया कवि: चंद्रकांत देवताले चयन व संपादन: शिरीष कुमार मौर्य प्रकाशक:शाइनिंग स्टार एवं अनुनाद उत्तराखंड मूल्य:रु.200 धीरे धीरे उम्र
– महेश चंद्र पुनेठा ‘धनुष पर चिड़िया‘ चंद्रकांत देवताले की स्त्रीविषयक कविताओं का संग्रह है जिसका चयन व
प्रस्तुति – यादवेन्द्र पूरी कविता और इस पर बहस के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें … द पब्लिक एजेंडा के नवम्बर 2010 में
कुछ बातरतीब बातों की एक बेतरतीब पड़ताल हर युवा कवि अपनी रचना और विचार-प्रक्रिया में ख़ुद को पूर्वज कवियों से साझा
साक्ष्य (विटनेस) की कविता पाठक को रूबरू कराती है उसकी व्याख्या से जुड़ी एक दिलचस्प समस्या से. हम अभ्यस्त हैं अपेक्षाकृत
(महाकवि नाज़िम हिकमत की कालजयी कविता यादवेन्द्र जी के सुन्दर अनुवाद में पढ़ने के बाद बारी है जॉन बर्जर के इस