काव्य-कथा : बोरहेस और हिमालयाः टुनाईट आयम नॉट ए मंक / गिरिराज किराड़ू Anunad October 31, 2009 (पिछले दिनों मैंने देखा ऑल जस्टीफाईड छपी हुई, ‘गद्य’ ‘दिखती’ हुई कवितायें वेब पर प्रकाशित होने पर कुछ लोगों को लगा Read More...
उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच एक छोटा-सा “या” (शैलेय का कविकर्म) – शिरीष कुमार मौर्य Anunad October 19, 2009 (यह समीक्षानुमा छोटा लेख अनुनाद पर लगाए जाने से पहले एक-दो पत्रिकाओं में छप चुका है) शैलेय के कविता संकलन पर Read More...
काला राक्षस- तुषार धवल की लम्बी कविता और उस पर वीरेन डंगवाल की टिप्पणी Anunad October 14, 2009 “तुषार धवल की कविता ‘काला राक्षस ‘ को पढ़ते हुए मुझे कई बार मुक्तिबोध– खासकर उनकी ‘अँधेरे में’ की याद आई Read More...
आलोचना का युवा पक्ष – प्रियम अंकित Anunad May 1, 2009 नेरूदा ने आलोचना को राजगीर का हाथ, इस्पात की रेखा, और सामाजिक तबकों की धड़्कन कहा था। यह आलोचना की जनपक्षधरता Read More...
उदयप्रकाश की कविता पर अभय तिवारी Anunad November 18, 2008 मैं बहुत लंबे समय से चाहता हूँ कि अनुनाद पर अब तक लंबित रहे विचार – विमर्श के पक्ष को किसी Read More...