अनुनाद

आलोचना / समीक्षा

नागार्जुन का काव्‍य-व्‍यंग्‍य – शिवप्रकाश त्रिपाठी

वैद्यनाथ मिश्रा,यात्री या फिर  सबसे प्रसिद्ध  व लोकप्रिय नाम बाबा नागार्जुन  हिंदी एवम् मैथिली साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध नाम

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इतिहास जहाँ पर चुप हो जाता है, कविता बोलती हैै : केशव तिवारी के नए कविता संग्रह ‘तो काहे का मैं’ पर महेश पुनेठा का आलेख

कवि का रेखाचित्र : कुंवर रवीन्‍द्र लोकधर्मिता, न गाँव के दृश्य या घटनाओं को कविता में लाना भर है ,न पेड़-पत्ती-फूल

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समकालीन कविता के कोनों और हाशियों की ओर ध्यान खींचती आलोचना – महेश चंद्र पुनेठा

                                            आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण

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