कविता जो साथ रहती है-6 / महेश वर्मा की एक कविता : गिरिराज किराड़ू
गिरिाराज किराड़ू ने इस बार न सिर्फ़ अपने बल्कि मेरी समझ के भी बहुत क़रीब के कवि महेश वर्मा पर लिखा
गिरिाराज किराड़ू ने इस बार न सिर्फ़ अपने बल्कि मेरी समझ के भी बहुत क़रीब के कवि महेश वर्मा पर लिखा
बेहद सतर्क एवं चौकन्नी दृष्टि की कविताएं
अनुनाद पर सुप्रसिद्ध कवि गिरिराज किराड़ू के महत्वपूर्ण स्तम्भ ‘कविता जो साथ रहती है’ के तहत इस बार प्रस्तुत है असद
भीतर-बाहर की आवाजाही पिछले दिनों युवा कवि अमित श्रीवास्तव का पहला कविता संग्रह’बाहर मैं …मैं अन्दर ‘ शीर्षक से प्रकाशित हुआ
फेसबुक पर आज संयोगवश अग्रज कवि पवन करण की दीवाल पर प्रख्यात कथाकार महेश कटारे का यह चकित कर देने वाला
विस्थापन और ‘आत्म’बोध की दूसरी कथा अपनों में नहीं रह पाने का गीत उन्होंने मुझे इतना सताया कि मैं उनकी दुनिया
केशव तिवारी मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, जिनकी कविता के महत्व पर बातचीत मुझे हमेशा हमारी आज की कविता के हित
नाज़िम ने कहा था कि ”मैं कविता के भविष्य पर विश्वास करता हूँ. ऐसे कई रहस्य हैं, जो लोगों को अभी
शमशेर बहादुर सिंह के बाद विनोद कुमार शुक्ल ही एक ऐसे कवि हैं, जिनकी कविता को पढ़ते हुए मैं अचानक ख़ुद