
शुभा मिश्रा की कविताएं
धानरोपनी दिल नहीं लगा आज उसका धानरोपनी के गीतों में बबुआ की देह तप रही थी आते समय ज्वर
धानरोपनी दिल नहीं लगा आज उसका धानरोपनी के गीतों में बबुआ की देह तप रही थी आते समय ज्वर
धूप में धूप दूर दृष्टि के दूसरे छोर तक पसरी है, आग का एक समुद्र उग आया
जीना ही है प्रेम उसने थामा मेरा हाथकहा नहीं ऐसे नहींऐसे होती है कविताहाँ वह सही थाकविता के बारे मेंजबकि मैं
हिन्दी कविता में ईरान की स्त्री कवियों के स्वर सुनाई दे रहे हैं। अनुनाद पर पहले यादवेन्द्र ने कुछ महत्वपूर्ण अनुवाद
श्रीधर नांदेडकर मराठी साहित्य में ख्यातिप्राप्त नाम हैं। उनकी कविताओं का हिन्दी में अनुवाद कर पाठकों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य
अनुनाद ने हमेशा से ही अन्य भाषाओं की कविताओं में आवाजाही का संकल्प रखा और निभाया है। हमारे आर्काइव में हमारा
1. शिकारी की तरह आए तो प्रेम नहीं है! जाल बिछाए तो प्रेम नहीं है! आखिर यह मान
सबूत सारा शहर जानता है गुनाह मरने वाले का हत्यारों की बेगुनाही अख़बार के इश्तहारों में है कुछ सिरफिरों ने नशे में सुनायी मौत की सजा एक शहरी को एक होश में बैठा हाकिम जाँचेगा उनकी बेगुनाही के सबूत *** पूरा दिन
कूड़ा हर शहर के पास होता है अपना एक कूड़ा बहुत-बहुत तरह का होते हुए भी कूड़ा एक
शिवम तोमर हिन्दी की अभी प्रकाश में आ रही है युवतर पीढ़ी के सदस्य हैं। उनके सामने एक तयशुदा काव्यभाषा और