आर्याव्रत में मिस्टर के: ईस्वी सन २०१४ – गिरिराज किराडू
गिरिराज किराड़ू नामक हमारा साथी और प्रिय कवि कविता के इलाक़े में इतना धैर्यवान है कि हमारे धैर्य की परीक्षा लेने
गिरिराज किराड़ू नामक हमारा साथी और प्रिय कवि कविता के इलाक़े में इतना धैर्यवान है कि हमारे धैर्य की परीक्षा लेने
कविता में प्रयोग एक पुराना पद है। कभी-कभी वह नए आशय के साथ प्रकट होता है तो ध्यान खींचता है। दुनिया
पता नहीं मेरी लिखत-पढ़त की सीमा है या फिर दुनिया के ग्लोबल विलेज बनने में ही कसर छूट गई है कि
शैलजा पाठक अब युवा कविता में एक सुपरिचित नाम हैं। बतकही का अंदाज़ और उसमें भरपूर नास्टेल्जिया के साथ आता, कभी-कभी
देवेन्द्र आर्य हिंदी ग़ज़ल का सुपरिचित नाम हैं लेकिन अनुनाद को उनकी एक कविता हासिल हुई है। इस कविता में आते
शायक आलोक से मुलाक़ात का माध्यम फेसबुक है। इस नौजवान की कविता ने मुझे बहुत शुरूआत से अपनी ओर खींचा। अनुनाद
जिन दिनों कर्ज़ नेमत हों और फ़र्ज़ कुफ़्र, उन दिनों यानी इन दिनों की इस कविता में शिल्प की हर सरहद
परिकल्पित कथालोकांतर काव्य-नाटिका नौरात,शिवदास और सिरी भोग वगैरह (दिवंगत अग्रजों शैलेश मटियानी और गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ को किंचित क्षमा-याचना के साथ
प्रौढ़ कवियों के युवा कहलाने के दौर में राहुल देव एक नौउम्र कवि हैं। युवा कविता के सैलाब में कुछ अन्तर्धाराएं
लाल्टू उस दौर में शुरूआत करने कवि हैं, जब देश में उदारीकरण और साम्प्रदयिकता का संकट भरपूर गहरा रहा था और