देवेन्द्र आर्य की कविता – चांद एक शिल्प है
देवेन्द्र आर्य हिंदी ग़ज़ल का सुपरिचित नाम हैं लेकिन अनुनाद को उनकी एक कविता हासिल हुई है। इस कविता में आते
देवेन्द्र आर्य हिंदी ग़ज़ल का सुपरिचित नाम हैं लेकिन अनुनाद को उनकी एक कविता हासिल हुई है। इस कविता में आते
शायक आलोक से मुलाक़ात का माध्यम फेसबुक है। इस नौजवान की कविता ने मुझे बहुत शुरूआत से अपनी ओर खींचा। अनुनाद
जिन दिनों कर्ज़ नेमत हों और फ़र्ज़ कुफ़्र, उन दिनों यानी इन दिनों की इस कविता में शिल्प की हर सरहद
परिकल्पित कथालोकांतर काव्य-नाटिका नौरात,शिवदास और सिरी भोग वगैरह (दिवंगत अग्रजों शैलेश मटियानी और गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ को किंचित क्षमा-याचना के साथ
प्रौढ़ कवियों के युवा कहलाने के दौर में राहुल देव एक नौउम्र कवि हैं। युवा कविता के सैलाब में कुछ अन्तर्धाराएं
लाल्टू उस दौर में शुरूआत करने कवि हैं, जब देश में उदारीकरण और साम्प्रदयिकता का संकट भरपूर गहरा रहा था और
नीलोत्पल की कविताएं मानुष जीवन के ताप से भरी कविताएं हैं। जीवन के पकने की गंध जैसे फ़सल पकी हो या
संजय कुमार शांडिल्य उन कवियों में हैं, जिन्होंने अभी आकार लेना शुरू किया है। हम सभी देख सकते हैं कि ऐेसे
कवि-मित्र जितेन्द्र श्रीवास्तव का साथ लेखन के शुरूआती दौर का साथ है। हम दोनों ने एक-दूसरे के रचनात्मक संघर्ष देखे और
कर्मानन्द आर्य की कविता से मेरा परिचिय सोशल साइट पर हुआ। उनसे बातचीत हुई। पढ़ने के लिए उन्होंने कई कविताएं एक