अरुण देव की कविताएँ
समकालीन अच्छे दिनों की निरर्थकता के बरअक्स नए दिनों की स्थापना देते ये कवि साथी अरुण देव हैं। उनकी कविताएं बताती
समकालीन अच्छे दिनों की निरर्थकता के बरअक्स नए दिनों की स्थापना देते ये कवि साथी अरुण देव हैं। उनकी कविताएं बताती
मुझे नहीं पता शाहनाज़ जी कब से कविताएं लिख रही हैं पर अब वे हिंदी की सुपरिचित कवि हैं। अपनी पढ़त
रेखांकन : कुंवर रवीन्द्र विमलचन्द्र पांडे का जीवट से भरा गद्य सैकड़ों में पहचाना जाता है और वही गद्य जब कविता
फेसबुक सूचना के अनुसार आज हमारे मित्र कथाकार विवेक मिश्र का जन्मदिन है। 15 अगस्त को जन्म लेना एक आज़ाद तबीयत
तुषार का दूसरा संग्रह : दख़ल प्रकाशन ये शरद की रातें हैं (मित्र कवि शिरीष कुमार मौर्य की इसी शीर्षक की
हमारी कोशिश है कि भिन्न-भिन्न स्वर कविता के हम अनुनाद पर छाप सकें। इसके लिए कभी सीधे कवियों से सम्पर्क करते
अनिल कार्की विकल, विकट और अंतहीन छटपटाहटों का कवि है। ये मनुष्य से आगे एक विचारवान मनुष्य होने की छटपटाहटें हैं,
विचित्र लेकिन बहुत सुन्दर है आज की, अभी की हिंदी कविता का युवा संसार। कितनी तरह की आवाज़ें हैं इसमें, कितने
इन ग़ज़लों में नए प्रयोग हैं। सायास हिंदीपन नहीं, बोली-बानी का अहसास ज़रूर है। हिंदी में ग़ज़ल कहना मुश्किल बात है
1. दुनिया के सारे धर्मग्रंथ कर दिए जाएं तहख़ानों के हवाले (भले ही कुछ समय के लिए) और पढ़े जाएं सिर्फ़