आदित्य शुक्ल की कविताएं
‘आक्रोश को अपना यू.एस.पी. नहीं बनाना चाहिए.’ – – वीरेन डंगवाल यह कथन वीरेन डंगवाल की स्मृति में पहल से आयी पंकज चतुर्वेदी की पुस्तक
‘आक्रोश को अपना यू.एस.पी. नहीं बनाना चाहिए.’ – – वीरेन डंगवाल यह कथन वीरेन डंगवाल की स्मृति में पहल से आयी पंकज चतुर्वेदी की पुस्तक
अनुनाद जिन युवाओं में गहरी उम्मीद देखता है, प्रदीप अवस्थी उनमें से एक हैं। यह देख पाना भी सुखद है कि वे किसी भी अतिरेक
अरुण देव हमारे वक़्त के दुश्चक्रों से लड़ने वाले कवि हैं। उनकी कविता देश के कठिन समय में संविधान की प्रस्तावना हमारे सामने रखती है।
राकेश रोहित हमारे समकाल के प्रमुख कवि के रूप में उभरे हैं। अनुनाद के वे पुराने साथी हैं, उनकी कविताएं कई बार अनुनाद ने छापी
कमल दा से तीन-चार मुलाक़ातें थीं पर परिचय बहुत पुराना था। साथ उनकी यायावरी के कई क़िस्से थे। वे अचानक चले गए। पुलिस ने प्रथम
नवल अल सादवी स्त्री-संतति के प्रति यौन दुराचार सभी बच्चे जो सामान्य और स्वस्थ पैदा होते हैं खुद को सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में महसूसते
(सुबोध शुक्ल हिंदी के तेजस्वी युवा हैं। कुछ समय पहले उनके सम्पादन में पश्चिम के स्त्रीवादी चिंतन पर एक महत्वपूर्ण किताब ‘गूंगे इतिहासों की सरहदों
उपासना झा ने इधर अपनी कविताओं से एक मौलिक पहचान हिंदी-जगत में बनाई है। हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण ब्लाग्स पर उनकी कविताएं पिछले कुछ समय
संदीप तिवारी नौउम्र विद्यार्थी हैं। संयोग है कि मेरे ही निर्देशन में पी-एच.डी. के लिए एनरोल्ड हैं। संदीप की कुछ कविताएं उनकी फेसबुक दीवार से
वीरू सोनकर की कविताएं पहले भी अनुनाद पर पाठकों ने पढ़ीं हैं और उन कविताओं पर मेरी टिप्पणी भी। इस बीच उनके कथन में कुछ