हरेप्रकाश उपाध्याय की कविता
हरेप्रकाश उपाध्याय युवा पीढी के कवियों में एक चर्चित नाम है। उन्हें २००६ का अंकुर मिश्र कविता पुरस्कार मिला है और इस वर्ष उनका पहला
हरेप्रकाश उपाध्याय युवा पीढी के कवियों में एक चर्चित नाम है। उन्हें २००६ का अंकुर मिश्र कविता पुरस्कार मिला है और इस वर्ष उनका पहला
गोया कार से टकराते बचावह आदमी भीकार चलाती स्त्री कोदेखकर मुस्कराया गोया औरत के हाथोंमारा जाना भीकोई सुख हो***शमीम जाड़े की सर्द रातसमय तीन-साढ़े तीन
*** एक पुरानी पोस्ट को फिर से लगा रहा हूँ दोस्तो……. *** (कुछ समय पहले मैंने अनुनाद पर लाल्टू को छापा था और वक्तव्य सहित
आज से कई बरस पहले जब यतींद्र मिश्र ने एक बहुत अच्छी और खुली पत्रिका सहित शुरू की थी तब उसके दूसरे या तीसरे अंक
बोधिसत्व के संग्रह “दुःख-तंत्र” को पढ़ते हुए मेरा ध्यान अचानक इस बात की ओर गया कि आज हमारे इस प्रिय कवि का जन्मदिन है। मैंने
मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँ कवि चित्र यहाँ से साभार मैं एक दिन ढूँढ रहा हूँसाल में कभी कोई एक दिनजिस दिन किसी नादिरशाह
एप्रिल जॉर्ज की यह कविता (मूल अंग्रेजी में) दि नवेम्बर थर्ड क्लब के अद्यतन अंक में प्रकाशित हुई है. अबू ताहा अपनी छत पर कबूतर
ज्योत्स्ना शर्मा (११ मार्च १९६५-२३ दिसम्बर 2008) और उनके लेखन के बारे में साहित्य की दुनिया अनजान है। इसी महीने आये संबोधन के कविता विशेषांक
______________________ 6 दिसंबर 2006 पहली और अंतिम बार आज 6 दिसम्बर 2006 है हमेशा की तरह बच्चे प्रार्थनाएं और राष्ट्रगान हल्का बेसुरा गा रहे हैं
एक नई कविता ….. रात भरपुरानी फ़िल्मों की एक पसन्दीदा श्वेत-श्याम नायिका की तरहस्मृतियां मंडरातीसर से पांव तक कपड़ों से ढंकींकुछ बेहद मज़बूत पहाड़ी पेड़ों