अनुनाद

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पंकज चतुर्वेदी की पाँच कविताएँ

गोया कार से टकराते बचावह आदमी भीकार चलाती स्त्री कोदेखकर मुस्कराया गोया औरत के हाथोंमारा जाना भीकोई सुख हो***शमीम जाड़े की सर्द रातसमय तीन-साढ़े तीन

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ज्योत्स्ना शर्मा (११ मार्च १९६५-२३ दिसम्बर २००८ ): प्रस्तुति धीरेश सैनी

ज्योत्स्ना शर्मा (११ मार्च १९६५-२३ दिसम्बर 2008) और उनके लेखन के बारे में साहित्य की दुनिया अनजान है। इसी महीने आये संबोधन के कविता विशेषांक

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मैं ऐसे बोलता हूँ जैसे कोई सुनता हो मुझे !

एक नई कविता ….. रात भरपुरानी फ़िल्मों की एक पसन्दीदा श्वेत-श्याम नायिका की तरहस्मृतियां मंडरातीसर से पांव तक कपड़ों से ढंकींकुछ बेहद मज़बूत पहाड़ी पेड़ों

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