” युवा कवियो ” के प्रति निकानोर पारा की एक कविता
अनुनाद के सहलेखक पंकज चतुर्वेदी नए कवियों और पाठकों के मार्गदर्शन के लिए “दहलीज़” नामक एक स्तम्भ चला रहे हैं लेकिन इधर कुछ दीगर व्यस्तताओं
अनुनाद के सहलेखक पंकज चतुर्वेदी नए कवियों और पाठकों के मार्गदर्शन के लिए “दहलीज़” नामक एक स्तम्भ चला रहे हैं लेकिन इधर कुछ दीगर व्यस्तताओं
आलोक श्रीवास्तव की इस कविता को दरअसल स्त्रियों पर लिखी गई आधुनिक कविता और स्त्री विमर्श का संक्षिप्त आलोचनात्मक काव्येतिहास भर माना जाए या इसके
बक ही दिया जाए कुफ़्र: कविता हमें बचा सकती है, उस तरह नहीं जैसे कोई मछुआरा डूबते हुए तैराक को खींच लेता हैअपनी कश्ती में,
हेमंत स्मृति सम्मान तथा महाराष्ट्र साहित्य अकादमी के संत नामदेव पुरस्कार से सम्मानित युवा कवि हरि मृदुल की यह कविता संवाद प्रकाशन वाले भाई श्री
(पिछले दिनों मैंने देखा ऑल जस्टीफाईड छपी हुई, ‘गद्य’ ‘दिखती’ हुई कवितायें वेब पर प्रकाशित होने पर कुछ लोगों को लगा यह कोई ‘नयी’ तरह
मेरी कविता ” मेरे समय में रोना” को पढ़ कर बड़े भाई अनूप सेठी जी ने अपनी यह कविता मेल से भेजी, जिसे मैं कवि
यह कविता प्रतिलिपि में प्रकाशित हुई है तथा पिकासो की यह विख्यात पेंटिंग यहाँ से साभार ! एक बच्चा सड़क पर रोता-रोता जाता थापीछे मुड़कर
आओ, पर्चे बांटेंआओ, पर्चे बांटेंउन कविताओं केजिन्हें न जाने कब से हमने नहीं लिखाउन सभी ख़तरनाक कविताओं केपर्चे बांटेंजिनमें हैं सभी प्रतिबंधित शब्दहैं जिनमें कोलाहलहै
यह कविता पिछले दिनों प्रतिलिपि में यहाँ छपी है। एक क़स्बे मेंबिग बाज़ार की भव्यतम उपस्थिति के बावजूद वह अब तक बची आटे की एक
दीपावली के अगले दिन और हिंदी में मचे समकालीन हाहाकार के बीच मैं आपको हमारे समय के एक समर्थ युवा कवि व्योमेश शुक्ल की यह