काला राक्षस- तुषार धवल की लम्बी कविता और उस पर वीरेन डंगवाल की टिप्पणी
“तुषार धवल की कविता ‘काला राक्षस ‘ को पढ़ते हुए मुझे कई बार मुक्तिबोध– खासकर उनकी ‘अँधेरे में’ की याद आई — और कभी बंगला
“तुषार धवल की कविता ‘काला राक्षस ‘ को पढ़ते हुए मुझे कई बार मुक्तिबोध– खासकर उनकी ‘अँधेरे में’ की याद आई — और कभी बंगला
बोधिसत्व समकालीन हिंदी कविता के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। कविता में अपनी शुरूआत उन्होंने आलोचना में कुछ बेहद प्रभावशाली कविताओं से की थी और
यह कविता प्रतिलिपि से – गिरिराज किराडू के प्रति आभार के साथ। अनुवादक – तरुण भारतीय आर के नारायन मर गए आज की रात, उदास
वह सैंडविच वह सैंडविच जो तुमने विदा होते समय दी थी ट्रेन में रात साढ़े नौ बजे मेरे इसरार के बावजूद कि घर पर माँ
नवरात्र के अनुष्ठानों के बीच माँ की महिमा के शोरोगुल में स्त्री को घर और बाहर, कदम-कदम पर अपमानित करने का अनुष्ठान भी उत्साह के
लीना टिब्बी १९६३ में सीरिया की राजधानी दमिश्क में जन्मी और अनेक देशों में (कुवैत, लेबनान, यूनाईटेड अरब अमीरात , साइप्रस, ब्रिटेन, फ्रांस, मिस्र इत्यादि)
अल मर्कोवित्ज़ एक ‘श्रमजीवी’ हैं जो बतौर मुद्रक, स्वास्थ्य-कार्यकर्ता, बावर्ची, माली, टैक्सी-ड्राइवर और फैक्ट्री-श्रमिक काम कर चुके हैं. उनका ‘एक्टिविस्ट’ जहाँ एक ओर रंगभेद, परमाणु
नक्शा यहाँ से साभार (सोहेल नज़्म के अंग्रेज़ी अनुवाद से रूपान्तरित) स्त्री का दिल स्त्री का दिल इकलौता ऐसा मुल्क हैजहां मैं दाखिल हो सकता
तस्वीर यहाँ से साभार कभी-कभी मैं तुम्हें याद करता हूं नन्हीं रूथ हम अलग हो गए थे अपने सुदूर बचपन में कहीं और उन्होंने तुम्हें
वह लौट कर आया और गोली मार दी. उसने उसे गोली मार दी. जब वह लौटा, उसने गोली मारी, और वह गिरा, लड़खड़ाते हुए, शैडो