अनुनाद

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सभ्यता के गलियारे में रखे हुए टायर: मार्टिन एस्पादा

कविचित्र यहाँ से साभार सभ्यता के गलियारे में रखे हुए टायर–चेल्सिया, मैसाच्युसेट्स“जी हुज़ूर, चूहे हैं”मालिक-मकान ने जज से कहा,“पर मैं किरायेदारों को बिल्ली पालने देता

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तुम्हारा नाम रेचल कोरी है – फ़ातिमा नावूत की एक कविता

भारतभूषण तिवारी द्वारा लगायी पिछली पोस्ट की एक कविता “दास्ताने -रेचल कोरी” के क्रम में प्रस्तुत एक और महत्त्वपूर्ण कविता…… अनुवाद एवं प्रस्तुति सिद्धेश्वर सिंह

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स्याह कपड़ों वाली औरतें: मेरिलिन ज़ुकरमन की एक कविता

स्याह कपड़ों वाली औरतें स्याह कपडे पहने कुछ यहूदी और फिलिस्तीनी औरतें हर जुमे की शाम पश्चिमी तट और गाज़ा पर हुए कब्ज़े की मुखालफत

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आज बाज़ार में पा-ब-जोलाँ चलो

गुज़री सदी में उर्दू शाइरी का नाज़ो-अंदाज़ बदलने वालों में फैज़ का नाम प्रमुख है. उनकी शाइरी ‘घटाटोप बेअंत रातों’ में सुबह के तारे को

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ईरान से पर्तोव नूरीला की कविता – चयन, अनुवाद तथा प्रस्तुति : यादवेन्द्र

पर्तोव नूरी़ला इरान की प्रखर कवियित्री हैं। १९४६ में तेहरान में जनमी, वहीँ पलीं बढीं और पढीं। बाद में तेहरान यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगीं। १९७२

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निज़ार क़ब्बानी की कविता – चयन, अनुवाद तथा प्रस्तुति : सिद्धेश्वर सिंह

इस अनुवाद और प्रस्तुति के लिए अनुनाद सिद्धेश्वर सिंह यानी जवाहिर चा का आभारी है। निज़ार क़ब्बानी (1923-1998) की गणना न केवल सीरिया और अरब

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