कोरियाई कवि कू सेंग की कविताओं का सिलसिला / नौवीं किस्त
कवि के परिचय, अनुवादक के पूर्वकथन तथा बाक़ी कविताओं के लिए यहा क्लिक करें ! मैं मैं एक नहीं दो हूँ भीतर से या शायद
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हमारी दुनिया की हर अच्छी चीज़ को बचाते हुए एक नयी दुनिया बनाने की छटपटाहट लाल्टू के शब्दों में है. उनके यहाँ कविता ‘रेटरिक’
बिल्ली आ गई है मुंडेर पर खून है मुंडेर पर अभी ताज़ा कितने ही पंख गिरे हैं चारों ओर उसकी आँखें हैं जैसे जंगल जल
आज का दिन बहुत घटनाप्रधान है ! अभी मुझे आसमान से टपकी हुयी किसी अनमोल सौगात जैसी कवि चंद्रकांत देवताले की दो चित्रकृतियाँ मिली हैं
व्योमेश शुक्ल ने अपनी कविता की ताक़त के बूते बहुत कम समय में पहचान बनाई है। उसके अपने बनाये बेहद जटिल और महान काव्यमूल्यों से
विनोददास हमारे अग्रज कवि और चिंतक हैं। ख़ुशी की बात है कि मेरे अनुरोध पर उन्होंने अपनी कुछ कविताएं अनुनाद के लिए भेजी हैं। मेरे
कवि का वीडियो , विस्तृत जीवन परिचय तथा अन्य सभी जानकारी इस लिंक पर मौजूद हैं। आलिंगन दादी के बारे में बच्चे ने बतायाअंतिम दिनमृत्यु
एक दिन मैं मारा जाऊंगामरना नहीं चाहूंगा पर कोई चाकू घुस जाएगा चुपचाप मेरी टूटी और कमज़ोर बांयीं पसली के भीतर उसी प्यारभरे दिल को
यह कविता पहली बार यहाँ प्रकाशित हुई चित्रकृति : शिवकुमार गांधी(प्रतिलिपि से साभार) वहाँ फ़िलहाल कुछ लड़कियों के कपड़े टंगे हैं सूखने को और सपने
नेरूदा ने आलोचना को राजगीर का हाथ, इस्पात की रेखा, और सामाजिक तबकों की धड़्कन कहा था। यह आलोचना की जनपक्षधरता की और महज़ पुस्तकों