अनुनाद

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आलोचना / समीक्षा

‘कितनी कम जगहें हैं’ में कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है/समीना खान

रचनाकारों की दुनिया में अमूमन एक वर्ग ऐसा होता है जो किसी रचनाकार के पहले संग्रह को उसके लेखन के शैशवकाल से जोड़ता है।मगर सीमा

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आलोचना / समीक्षा

ज़िला जौनपुर, सिटी बनारस: सिराज-ए-दिल जौनपुर/मूल अंग्रेजी आलेख  संजीव चोपड़ा/ अनुवाद      – शंखधर दुबे

मैं सिराज-ए-दिल जौनपुर (SEDJ) की इस समीक्षा की शुरुआत दो स्वीकारोक्तियों के साथ कर रहा हूँ। पहली यह कि मैंने इसे पढ़ने के लिए नहीं

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कथेतर गद्य

स्‍मरण विष्‍णु खरे –  कृष्‍ण कल्‍पित / अविनाश मिश्र

     कृष्‍ण कल्‍पित (१) केदारनाथ सिंह की अनुकृति करने की कोशिश में जितने युवा कवि नष्ट हुये उससे कुछ अधिक ही विष्णु खरे की कविता

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