अनुनाद

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मिलती रही मंज़िलों की खबर ग़म-ए- दौराँ की उदासियों से भी/शुभा द्विवेदी की कविताएं

    कुछ सीखें बच्‍चों की बड़ों के लिए                   कितना कुछ बचा लेते हैं ये नन्हे-नन्हे हाथ: धरती भर मानवता अंबर भर संवेदनाएँ वसंती

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डाली पर झुका गुलाब तुम्हारी स्मृति में खिला है/ सीमा सिंह की कविताएं

      आश्‍वस्ति                   बसंत के माथे पर खिलते फूलों को देख  लौट लौट आती हैं तितलियाँ  जबकि पूस की रातों में जुगनू नहीं लौटते  ऋतुएँ

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कुमाउनी लोक-साहित्य में घुघुत- संजय घिल्डियाल

पाश्चात्य ज्ञान मीमांसा मुख्य रूप से सामाजिक परिदृश्य तथा प्राकृतिक क्षेत्र के मध्य विरोध पर आधारित है।1 ऐसा विरोध पारिस्थितिक परिप्रेक्ष्य को नितांत रूप से

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हिन्दी साहित्य और न्यू मीडिया- लीलाधर मंडलोई से मेधा नैलवाल का साक्षात्कार

मेधा नैलवाल – हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते हैं ? लीलाधर मंडलोई– हिन्‍दी और न्‍यू मीडिया के संबंध में

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हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है-  देवेन्द्र आर्य

                                ग़ालिब एक सांसारिक कवि हैं। मोह-लिप्त मगर माया-निर्लिप्त। दुनियाबी रंगीनियों को अगर होठों से पीने में हाथ साथ न दे रहे हों,

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हर्षिल पाटीदार की कविताएं

   पिता    वे सिर्फ एक छत ही नहीं,पेपरवेट भी थे.जैसे ही हटे,हमकागज के पन्नों-सेबिखरते चले गए.***    यथार्थ     जब मैं स्वयं कोसम्पूर्ण रूप सेपवित्र समझ चुका

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हिमांशु विश्‍वकर्मा की कविताएं

       नदियां और बेटियां    (19 वर्षीय हिमानी, एक सुदूर पहाड़ी ग्रामीण इलाके से आयी लड़की, जो स्नातक के लिए महिला महाविद्यालय हल्द्वानी प्रवेश लेती है. साल

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