अनुनाद

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आलोचना / समीक्षा

हिन्‍दी ग़ज़ल में अंग्रेजी के तत्‍व/डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री

    हिंदी भारत ही नहीं विश्व की एक महत्वपूर्ण संवाद की भाषा है.एक भाषा के साथ यह हमारी अस्मिता और सांस्कृतिक मूल्यों की निशानी

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कविता

मन इच्छाओं का ज़ख़ीरा है देह उसके लालसाओं के बोझ से दबा मासूम/सुमन शेखर की कविताएं

   बिना व्‍याकरण के बोली जाने वाली भाषा हो तुम      तुम इतनी दूर रहीं कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता तुम रहीं इतने पास

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कविता

मिट्टी से रोटी नहीं न बनती  खाली चूल्हा बनता है/  इरा श्रीवास्‍तव की कविताएं

   ठूंठ      पिता के जाने के बाद उनकी अनुपस्थिति का अहसास सबसे अधिक कही नुमाया हुआ तो वो मां का सूना माथा था    बैठक

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कविता

अब वे प्रेम के मकबरे बन चुकी हैं/स्‍वप्‍निल श्रीवास्‍तव  की कविताऍं 

   अगर      अगर भोजन करते हुए तुम्हें  इस बात की शर्म आए कि दुनिया में  करोड़ों लोग भूखे हैं  तो समझ लो कि तुम्हारे भीतर 

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कविता

इस हँसी पर कोई बंदिश नहीं लगा सकता/ मनोज शर्मा

                                        आत्‍मकथ्‍य      जिस रात चौबारे पर उतरी चाँदनी उस गांव में एक नयी किलकारी गूँजी चीन के हमले से करीब साल भर

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आलोचना / समीक्षा

एक देश बारह दुनिया’ रिपोर्ताज के बहाने विकासात्‍मक विरोधाभास पर एक निगाह/ दीक्षा मेहरा

पुस्‍तक में‘जिंदगी बुनते थे वो बिखर गए’ एक ऐसा वाक्‍य है जिसे पढ़ते ही भारत में प्रगति के नाम पर अमूल्‍य संस्‍कृति के लगातार हो

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कहानी

 रधुली/अंजलि नैलवाल

  बाईं तरफ करवट ली हुई, बायां हाथ सिरहाने-सा रखा हुआ, और घुटने पेट तक मुड़े हुए। शरीर अकड़ चुका था। उसे ऐसे ही उठा

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