कहरवा पर दो युवा कवियों की कविताएं
चित्र यहां से साभार धागेनतिनकधिन – व्योमेश शुक्ल एक लड़का तबला बजाना सीख रहा है हारमोनियम पर बजते लहरे के साथ
चित्र यहां से साभार धागेनतिनकधिन – व्योमेश शुक्ल एक लड़का तबला बजाना सीख रहा है हारमोनियम पर बजते लहरे के साथ
फेसबुक पर कभी-कभी बहुत अच्छी कविताएं मिल जाती हैं। अशोक कुमार पांडेय के सौजन्य से यह कविता अभी मिली…जिसे अनुनाद पर
कात्यायनी हमारे समय की सुपरिचित और महत्वपूर्ण कवि हैं। उनकी ये कविता ‘चक दे’ की चकाचौंध से बहुत पहले की है। इस
अमित उपमन्यु ने अभी हाल में ही कविताएँ लिखना शुरू किया है. कुछ कविताएँ परिकथा के नवलेखन अंक में आई हैं
भगवत रावत नहीं रहे। बहुत प्यार करने वाले बुज़ुर्ग कवि। फोन पर कितनी बातें होती थीं उनसे। वो भारी आवाज़ अब कभी नहीं सुनाई देगी. निकट की कविता का एक पूरा इतिहास घूमने लगता है
नैनीताल के भोटिया मार्केट यानी तिब्बती मूल के लोगों के बाज़ार और तिब्बत को लेकर चल रहे आन्दोलन में उनकी भागीदारी
रसोईघरों में तीन सौ साठ अंशों की व्यस्तता के फलक में हर लम्हा-हर एक छोटे से कोण में मौजूद दिखतीं स्त्रियाँ
वहाँ कोई नहीं है मैं भी नहीं वह जो पड़ी है देह हाथ बांधे दांत भींचे बाहर से निस्पन्द भीतर से
मेरा पालतू कुत्ता जो पहले चिडि़यों को हैरत से तका करता और भौंकता था घात लगाने लगा है आजकल उनपर छोटे
एक लम्बे इंतज़ार के बाद जबकि मैं अपना मकान बनवा रहा हूँ…और तरह तरह की मुश्किलों से दो चार हो रहा