क्या होता है स्त्री होना -आलोक श्रीवास्तव की कविताएं : चयन – प्रतिभा कटियार
इस पोस्ट के साथ प्रतिभा कटियार अनुनाद की टीम का हिस्सा बन रही हैं। अनुनाद परिवार की ओर से मैं उनका
इस पोस्ट के साथ प्रतिभा कटियार अनुनाद की टीम का हिस्सा बन रही हैं। अनुनाद परिवार की ओर से मैं उनका
अनुवाद एवं प्रस्तुति : यादवेन्द्र तुर्की के विश्व प्रसिद्द कवि नाज़िम हिक़मत की ये बेहद चर्चित युद्ध विरोधी कविता हिरोशिमा पर
कुबेरदत्त समकालीन हिन्दी कविता के एक सुपरिचित और आत्मीय सहभागी है। उन्होंने दूरदर्शन के लिए लगातार साहित्य के कई ऐसे कार्यक्रम
दहशत पारे सी चमक रही है वह मुस्कुराते हुए होंठों के उस हलके दबे कोर को देखो जहाँ से रिस रही
१९६२ में अल्बानिया की राजधानी तिराना में जनमी रीता पेत्रो स्टालिन कालीन साम्यवादी पाबंदियों से मुक्त हुए अल्बानिया की नयी पीढ़ी
चम्बा की धूप ——– ठहरो भाई, धूप अभी आएगी इतने आतुर क्यों हो आखिर यह चम्बा की धूप है- एक पहाड़ी
गर हुए खुशकिस्मत इस जहाँ में हमयुद्ध के मैदान में एक खिड़की आ खड़ी होगी दो सेनाओं के बीच और जब
हमीं हम हमीं हम रहेंगे जहाँ में हमीं हम हमीं हम ज़मीं आसमाँ में हमीं हम हमीं हम नफीरी ये बाजे
अग्रज कवि विजय कुमार का नाम समकालीन कविता और कवितालोचना में एक विशिष्ट, महत्वपूर्ण और ज़रूरी नाम है। विजय कुमार जी
मैंने सुना बेटी आठवीं में आ गई है उन्होंने कहा देखते–देखते दसवीं में चली जाएगी उन्होंने कहा एक दिन विदा हो