सपने में बड़बड़ाता मैं आदमी हूं नई सदी का – तुषारधवल की कविताएं
जैसा अनुनाद के पाठक जानते हैं कि मैं अकसर ही अपने साथ के और बाद के किसी न किसी युवा कवि को अपने ब्लॉग में
जैसा अनुनाद के पाठक जानते हैं कि मैं अकसर ही अपने साथ के और बाद के किसी न किसी युवा कवि को अपने ब्लॉग में
इस कविता को प्रगतिशील वसुधा के नए अंक में भी पढ़ा जा सकता है और विलक्षण चित्रकार अमृता शेरगिल की यह विख्यात पेंटिंग यहाँ से
(शालिनी को समर्पित)कम ही सही पर वे हर जगह हैंइस महादेश की करोड़ों लड़कियों के बीच अपने लायक जगह बनातीघर से कालेज और कालेज से
अनुनाद मेरा ब्लॉग है और शायद मुझे पूरा अधिकार है कि इसमें अपनी कविताएं लगाऊं, लेकिन एक वरिष्ठ तथा मेरे प्रिय कवि ने फोन पर
मैं बहुत लंबे समय से चाहता हूँ कि अनुनाद पर अब तक लंबित रहे विचार – विमर्श के पक्ष को किसी तरह पूरा किया जाए
व्योमेश शुक्ल की कविता से हिंदी जगत परिचित है। वे पहल, नया ज्ञानोदय, तद्भव, वागर्थ, कथाक्रम आदि में निरंतर दिखाई दिए हैं। 2008 के अंकुर
पहले तो स्पष्ट कर दूं कि यह गिरिराज किराड़ू की कविता से मेरे सम्बन्धों पर एक निहायत निजी टिप्पणी है। साथ ही यह भी कि
बनारस में रहने वाले अलिन्द उपाध्याय ने विगत वर्ष वागर्थ के नवलेखन कवितांक में प्रेरणा पुरस्कार पा अपनी आमद दर्ज की थी। इधर कुछ पत्रिकाओं
चौदह बरस पहले गुज़र गयीं दादी मैं तब बीस का भी नहीं था दादी बहुत पढ़ी-लिखी थीं और सब लोग उनका लोहा मानते थे मोपांसा
अंजेला डुवाल(1905-1981 ) लेखिका फ्रांस के उत्तरी ब्रिटेनी में जन्मीं और जीवनपर्यन्त वहीं रहीं। किसान परिवार की मामूली पढ़ी हुई इस स्त्री ने 55 वर्ष