
रोने से शरीर का अशुद्ध जल बाहर निकल जाता है – अनुष्का पाण्डेय की कविताएं
अनुष्का पाण्डेय की कविताएँ सीधे-सरल संसार के उतने ही सरल प्रश्नों से निकलती-उलझती कविताएं लगती हैं, किन्तु यह भी याद दिलाती चलती हैं कि हर
अनुष्का पाण्डेय की कविताएँ सीधे-सरल संसार के उतने ही सरल प्रश्नों से निकलती-उलझती कविताएं लगती हैं, किन्तु यह भी याद दिलाती चलती हैं कि हर
जोशना बैनर्जी आडवाणी की कविताएं कई कहे-अनकहे, सुने-अनसुने कथानकों को सिरजती हुई अपनी कहन के लिए एक अलग तरह का शिल्प गढ़ती हैं। अंचल विशेष
ऋतु डिमरी नौटियाल की कविताएं आज के मनुष्य-जीवन और जीवन-शैली में घटित हो रहे प्रसंगों और प्रश्नों को स्पर्श करते हुए उनका सरल उत्तर देती
वरिष्ठ कवि मोहन कुमार डहेरिया नब्बे के दशक में प्रकाश में आयी कवि-पीढ़ी के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं। इनकी कविताएं समय, राजनीति और साहित्य के किसी
वीरेन्द्र दुबे देश के जाने माने बालशिक्षा विशेषज्ञों में हैं। इस क्षेत्र में उनकी उम्र गुज़री है। मध्य प्रदेश से उत्तराखंड तक विस्तृत उनके कार्यक्षेत्र
गहन निराशा भी ताकतवर होती है सभ्यता के इस दौर
एक पियानोवादक की मृत्यु दूसरे जब जंग छेड़ रहे थे अथवा कर रहे थे अनुनय अमनके लिये, या जब पड़े
कविता लेखन पर निजी जीवन और अनुभवों का विशेष प्रभाव होता है, जब यही अनुभव लोक मानस से जुड़ जाते हैं, तब
अशोक कुमार की कविताओं में लोक का ठेठपन, उसकी पीड़ा, उसकी चुनौतियाँ, उसके निश्चल स्वप्न , समाज का खोखलापन और जन्मभूमि से प्रवासित होने