कब नहीं रोया है पहाड़ – खेमकरण ‘सोमन’ की कविताएँ
कवि ने कहा मुझे लगता है कि जब चोर, संभ्रांत और सिपाही की भाषा बोलने लग जाए या संभ्रांत और सिपाही, चोर की
कवि ने कहा मुझे लगता है कि जब चोर, संभ्रांत और सिपाही की भाषा बोलने लग जाए या संभ्रांत और सिपाही, चोर की
आत्मकथ्य खुद को कवि कहने का साहस और कवि होने की जिम्मेदारी दोनों का खुद के अंदर नितांत अभाव पाता हूँ. कविता लिखता हूँ यह
आशंकाओं के बीच आशा कल्पना और सपनों से परे ये कविताएं निखालिस आज की हैं। ये कविताएं अपने समय के प्रति सजग नागरिक
मैं देखता हूँ कि लोग बहुत अलग-अलग तरह का जीवन जीते हुए कविताऍं लिखते हैं या लिखने की कोशिश करते हैं। ये कोशिशें और ये
इक्कीसवीं सदी के आरम्भ में हिन्दी में जिन महत्वपूर्ण कथाकारों की आमद हुई है, प्रचण्ड प्रवीर उनमें बेहद ख़ास और अलग नाम है। वे क़िस्सागोई
विख्यात बॉंग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन का आज जन्मदिन है। इस अवसर पर हम उनकी तीन कविताऍं बधाई और शुभकामनाओं के साथ प्रकाशित कर रहे हैं,
कवि ने कहा वस्तुतः लेखक होने से पहले मैं स्वयं को एक सजग पाठक के रूप में देखता हूँ। एक
विष्णु खरे हिन्दी कविता के इलाक़े में हुई बहुत बड़ी हलचल का नाम है। कितनी ही उथलपुथल उनके नाम दर्ज़ हैं। विवादों में बदलते हुए
कवि ने कहा मेरे लिए लिखने की तलब क्या है..इस प्रश्न को मैं ख़ुद से करती रहती हूँ।आख़िर क्या जरूरत है घड़ी के दो
संदीप नौजवान कवियों में उम्मीद से भरा एक नाम हैं। उन्हें पिछले वर्ष युवा कविता के लिए रविशंकर उपाध्याय स्मृति पुरस्कार बनारस में दिया गया