अपर्णा कडसकर की कविताएं : अनुवाद – स्वरांगी साने
स्वरांगी साने के अनुवाद में मराठी कविताओं की यह दूसरी प्रस्तुति है। कवि और अनुवादक का आभार। *** अपर्णा कडसकर, इस नाम की एक अलग
स्वरांगी साने के अनुवाद में मराठी कविताओं की यह दूसरी प्रस्तुति है। कवि और अनुवादक का आभार। *** अपर्णा कडसकर, इस नाम की एक अलग
‘पहली बार’ ब्लाग पर मुसाफ़िर बैठा की कविता से पहला परिचय हुआ। उनकी कविताओं का अपना डिक्शन है, अपनी ही एक आवाज़। उनका कवि धैर्य
भीष्म साहनी के नाटकों में शायद “माधवी” ही है जिसकी चर्चा सबसे कम हुई है बावजूद इसके कि वह पौराणिक कथा पर आधारित होते हुए
स्वरांगी साने की कविताएं अनुनाद छापते हुए मैंने उनसे मराठी से अनुवाद के लिए अनुरोध किया था और उन्होंने कुछ अनुवाद भेजने शुरू किए हैं।
सरकारी नौकरी में कई लोग ऐसा ही महसूस करते हैं, जैसा अमित की ये कविता महसूस कराती है। ये सीधे-सीधे वाक्य हैं और कविता इनकी
यक्ष -युधिष्ठिर संवाद हमने पहले भी अनुनाद पर साझा किए थे, जिन्हें आप यहां पढ़ सकते हैं। उसी क्रम में यह एक और संवाद। अनुनाद
कविता के इलाक़े में नई आवाज़ों के सिलसिले हैं। उसी सिलसिले से स्वरांगी साने की ये कविताएं। इन कविताओं को छापते हुए अनुनाद ने कवि
कवि मित्र अशोक को पिछले दिनों पंकज सिंह स्मृति सम्मान प्रदान किए जाने की घोषणा हुई है और कल मुझे ईमेल में ये नई कविता
मन में ‘लोक’ शब्द आते ही स्मृति में भी ‘तीन प्रसंग’ आ जाते हैं एक में कबूतरी देवी गा रही हैं; “भात पकैये बासमती को,
हर दूसरा आदमी या तो कुफ्र है है या देशद्रोही – अरुण देव की कविता हमारे समय का बयान हैं। यहां दी जा रही कविताएं