
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल नहीं है ये एआई की दुनिया/अमित श्रीवास्तव
विज्ञान एक बड़ी सी गेंद है जिसे लपकने के लिए आपके दोनों हाथों की ज़रुरत पड़ती है पर उसे आसमान में उछाल देने के
विज्ञान एक बड़ी सी गेंद है जिसे लपकने के लिए आपके दोनों हाथों की ज़रुरत पड़ती है पर उसे आसमान में उछाल देने के
रचनाकारों की दुनिया में अमूमन एक वर्ग ऐसा होता है जो किसी रचनाकार के पहले संग्रह को उसके लेखन के शैशवकाल से जोड़ता है।मगर सीमा
मैं सिराज-ए-दिल जौनपुर (SEDJ) की इस समीक्षा की शुरुआत दो स्वीकारोक्तियों के साथ कर रहा हूँ। पहली यह कि मैंने इसे पढ़ने के लिए नहीं
कितनी सारी बातें होती हैं कहने के लिए । कुछ-न-कुछ तो हमेशा सबके पास रहता ही है । ऐसा लगने से हो कुछ नहीं जाता,
कृष्ण कल्पित (१) केदारनाथ सिंह की अनुकृति करने की कोशिश में जितने युवा कवि नष्ट हुये उससे कुछ अधिक ही विष्णु खरे की कविता
इस बार तो कंग्डाली भाम देखने जाना ही है आखिर इतनी बातें जो सुनी हैं इसके बारे में और फिर 12 वर्षों में भी