टर्रापन लिए मीठे फल – भूपेन्द्र बिष्ट की कविताऍं
भूपेन्द्र बिष्ट लम्बे समय से कविता लिख रहे हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति समकालीन दृश्य में एक ख़ामोश और संकोची उपस्थिति रही है। दैनिक जीवन की
भूपेन्द्र बिष्ट लम्बे समय से कविता लिख रहे हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति समकालीन दृश्य में एक ख़ामोश और संकोची उपस्थिति रही है। दैनिक जीवन की
श्रीविलास सिंह ने विश्वकविता से बहुत महत्वपूर्ण अनुवाद हिन्दी में सम्भव किए हैं। हमेें कैरिबियाई कवि डेरेक वॉलकाट की दस कविताऍं मिली हैं। संसार में
गौरव सिंह की कविताऍं महानगरों, अजनबीपन, व्यर्थताओं और ऐसे ही कई-कई बार कहे-लिखे गए प्रसंगों को अपने भावबोध के सहारे अलग और नए तरीक़े से
हिन्दी कविताओं में इधर बीच सामने आई संभावनाओं में नेहल साह की कविताओं में अस्मिता से जुड़े प्रश्नों के स्पष्ट स्वर दिखाई देते हैं। अनुनाद पर
गीता गैरोला प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं। महिला समाख्या में कार्य करते हुए उन्होंने साधारण भारतीय स्त्रियों की सामाजिक स्थिति का बहुत निकटता से अनुसंधान
हिन्दी कविता में इधर सामने आयी संभावनाओं में राही डूमरचीर ने तेज़ी से अपनी पहचान बनाई है। देश के उपेक्षित इलाक़ों, नागरिकता और अस्मिताओं की
योगेश ध्यानी की कविताऍं समकालीन हिन्दी कविता में बिलकुल नया एक बयान हैं। नया होने के बावजूद वे किसी असाधारण शिल्प और भाषा में नहीं,
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता चन्द्रकान्त देवताले की प्रसिद्ध कविता है। इस नाम से एक शानदार संग्रह का चयन एवं सम्पादन कवि कुमार अनुपम
दिव्या श्री हिन्दी की युवतर कवि हैं। उनकी कविताएं अपने क्रिया-व्यवहार और अनुभव में आंचलिक के तद्भव से लेकर शास्त्रीयता के तत्सम तक एक बड़े
हिन्दीसाहित्य,न्यू मीडिया एवं प्रकाशक/प्रकाशन : कुमार अनुपम- (साहित्य अकादमी,दिल्ली) साक्षात्कार छवि – 5 जुलाई 2022/ साहित्य अकादमी