विदग्ध देहों का जल-स्पर्श – अमिताभ चौधरी की कविताऍं / चयन : प्रशांत विप्लवी
अमिताभ चौधरी की कविताऍं कवि प्रशांत विप्लवी ने अपनी एक टिप्पणी के साथ उपलब्ध करायी हैं। इस सहयोग के लिए अनुनाद
अमिताभ चौधरी की कविताऍं कवि प्रशांत विप्लवी ने अपनी एक टिप्पणी के साथ उपलब्ध करायी हैं। इस सहयोग के लिए अनुनाद
कुछ दिन पहले ओम निश्चल के एक आलेख में जोशना बैनर्जी आडवाणी का उल्लेख मैंने देखा, फिर फेसबुक पर उनकी कविताऍं
गौरांशी चमोली की कविताऍं मैंने फेसबुक के एक पेज पर हुए लाइव में सुनीं। जीवन और समाज की बुनियाद समझ से
कवि का कथन जिन्हें भी अपनी कविताएँ कह रहा हूँ, वह मेरे भीतर से बाहर और बाहर से भीतर
अरुण शीतांश जाने-पहचाने कवि हैं। उनके महत्वपूर्ण रचनात्मक और आलोचनात्मक हस्तक्षेप हिन्दी संसार में संवाद की शिनाख़्त की तरह देखे गए
कवि का कथन मेरा मानना है कि साहित्य स्वयं का , अपने परिवेश के मूल्यांकन और पुनः मूल्यांकन का आधार देती
कवि का कथन कविता मेरे लिए अपने भीतर के उस बच्चे को स्वर देने का प्लेटफार्म है, जिसने एक अलग-
कितनी अलग-अलग आवाज़ें इस बीच हिन्दी कविता को मिली हैं, यह देखना सुखद है। अहिन्दी प्रदेशों में हिन्दी की कविता के
इधर दुनिया भर में मची गड़बड़ और ख़राबे के बीच भी भाषा और कविता में साहित्य की राजनीति के पुराने पत्ते
समकालीन हिन्दी कविता की अन्तर्धारा में प्रदीप सैनी सदा ही धैर्य और संयम के साथ रचनारत दिखायी दिए हैं। अनुनाद को