
महाकवि पिण्टा सुबोधिनी – प्रचण्ड प्रवीर
दोनोँ रचनाओँ की अन्यत्र अस्वीकृति के कारण निम्न हैँ: – महाकवि पिण्टा की अस्वीकृति के कारण इस तरह बताए गए थे –१. विद्वेषपूर्ण रचना –

दोनोँ रचनाओँ की अन्यत्र अस्वीकृति के कारण निम्न हैँ: – महाकवि पिण्टा की अस्वीकृति के कारण इस तरह बताए गए थे –१. विद्वेषपूर्ण रचना –

मैं अपनी शोक सभा का कार्यक्रम सुन रहा था। सुनना ही था; देख तो नहीं सकता था, क्योंकि जमीन पर तो कुछ हो नहीं रहा

बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में गोमती नदी के किनारे बसा है, जो अल्मोड़ा से लगभग 70 किमी उत्तर-पश्चिम में है। ये कुमाऊँ हिमालय

2003 के क्रिकेट विश्व कप के समय मैं सत्रह साल का था। किराए पर कमरा लेकर अलवर में रहता था। वह पहली बार घर से

बहुत दिनों से वह अपनी नींद ढूँढ रहा था … कभी कभी वह अपनी रातों की नींद ढूँढ़ते हुए मेरी दोपहर में आ जाता और

छत की मुंडेर से सटकर खड़े पुराने नीम के पेड़ की डाल से पत्तियां तोड़ते हुए, वो ढलती सांझ के सूरज को देख रहा था।

कुबेरनाथ राय और धर्मवीर भारती ने समर्पित कलासाधक को ‘संपाती’ के तुल्य बताया है। सौंदर्य का ऐसा उपासक जो सच्ची कला को निरावरण देखने की

दिन के 12 बज गए थे पुलिस को उग्रवादियों की लाशें उठवाते और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ इकट्ठा करते-करते। बीती रात 6-7 घंटों तक दोनों ओर से

प्रेम – 1 अत्यंत बलवती थी उसकी इच्छा जीवन वरण की डस गया तभी प्रेम पिघला वाहिनियों में पीड़ा का स्वेद ज्वर मियादी का मार

। एक । कबसे किसे जप रहा जल कल कल कल कल ।। । दो । पहाड़ पार जाते आते आधी सी बातें तो वे




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