नक्शे में निशान और अन्य कविताएँ – अलिंद उपाध्याय
बनारस में रहने वाले अलिन्द उपाध्याय ने विगत वर्ष वागर्थ के नवलेखन कवितांक में प्रेरणा पुरस्कार पा अपनी आमद दर्ज की थी। इधर कुछ पत्रिकाओं
बनारस में रहने वाले अलिन्द उपाध्याय ने विगत वर्ष वागर्थ के नवलेखन कवितांक में प्रेरणा पुरस्कार पा अपनी आमद दर्ज की थी। इधर कुछ पत्रिकाओं
चौदह बरस पहले गुज़र गयीं दादी मैं तब बीस का भी नहीं था दादी बहुत पढ़ी-लिखी थीं और सब लोग उनका लोहा मानते थे मोपांसा
अंजेला डुवाल(1905-1981 ) लेखिका फ्रांस के उत्तरी ब्रिटेनी में जन्मीं और जीवनपर्यन्त वहीं रहीं। किसान परिवार की मामूली पढ़ी हुई इस स्त्री ने 55 वर्ष
महेन युवा ब्लागर हैं और बैंगलोर में रहते हैं, इससे अधिक मैं उनके बारे कुछ नहीं जानता। उनकी एक पोस्ट से पता चला कि वे
मैं डा० अनुराग शर्मा के प्रति अत्यन्त आभारी हूँ जो उन्होनें हिन्दीयुग्म – आवाज़ में चीज़ों को अन्यत्र शेयर करने की सुविधा उपलब्ध करायी है
आदरणीय ज्ञान जी ! मुझे नहीं लगता की आप ब्लॉग की दुनिया में आते होंगे। कल वीरेन जी ने फोन पर पहल के पटाक्षेप की
मुझे लगा कि ब्लॉग पर पत्रिकाओं से अपनी पसंद छापने का एक क्रम शुरू करूं और इसके लिए प्रगतिशील वसुधा -78 में मुझे मेरी अपनी
एक ज़िद्दी धुन ने अपनी टिप्पणी में मुझे वीरेन दा की याद दिलाई और यहाँ मैं लाया हूँ उनकी दो कविताएँ, जिनमें से दूसरी की
अपने पिता की बरसी परमैं गयाउनके साथियों को देखनेजो दफ़नाए गए थे उन्हीं के साथ एक क़तार मेंयही थीउनके जीवन की स्नातक कक्षा मुझे याद
विश्वकविता में अपना एक विशिष्ट स्थान रखने वाले स्वीडिश कवि टॉमस ट्रांसट्रॉमर का जन्म 15 अप्रैल 1931 को हुआ। उनका बचपन अपनी के मां के