अनुनाद

All Blogs

राजेश जोशी की एक कविता

राजेश जोशी अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक चर्चित कवि हैं। साधारण लोगों से जुड़ी कई असाधारण और महत्वपूर्ण कविताएँ उन्होंने लिखी हैं। अभी पब्लिक एजेंडा की

Read More »

बुढापे की कविता – चयन, अनुवाद और प्रस्तुति: यादवेन्द्र

मैं यहाँ दो छोटी अमेरिकी कवितायेँ दे रहा हूँ जिन दोनों का सामान विषय है—बुढ़ापा….पर इन दोनों में इस विषय के साथ खेलने में अद्भुत

Read More »

सिर्फ हम : एलिस वाकर

सिर्फ हम कर सकते हैं सोने का अवमूल्यन बाज़ार में उसके चढ़ने या गिरने की परवाह न करके. पता है, जहाँ भी सोना होता है

Read More »

पंकज चतुर्वेदी की तीन कविताएँ

पंकज चतुर्वेदी कल कुमाऊं विश्वविद्यालय के एकेडेमिक स्टाफ कालेज में चल रहे हिंदी के रिफ्रेशर कोर्स में हिंदी आलोचना पर व्याख्यान देने आये और मेरे

Read More »

बाँदा – वीरेन डंगवाल

मैं रात, मैं चाँद, मैं मोटे कांच का गिलास मैं लहर ख़ुद पर टूटती हुई मैं नवाब का तालाब उम्र तीन सौ साल मैं नींद,

Read More »

नगाड़े ख़ामोश हैं और हुड़का भी – रमदा

गिरदा पर एक स्मृतिलेख रामनगर में इंटरनेशनल पायनियर्स द्वारा आयोजित पहली अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता(1977) के दौरान गिरीश तिवाड़ी (गिरदा) से पहली बार मिला था।

Read More »
error: Content is protected !!
Scroll to Top