राजेश जोशी की एक कविता
राजेश जोशी अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक चर्चित कवि हैं। साधारण लोगों से जुड़ी कई असाधारण और महत्वपूर्ण कविताएँ उन्होंने लिखी हैं। अभी पब्लिक एजेंडा की
राजेश जोशी अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक चर्चित कवि हैं। साधारण लोगों से जुड़ी कई असाधारण और महत्वपूर्ण कविताएँ उन्होंने लिखी हैं। अभी पब्लिक एजेंडा की
ताल के ह्रदय बले दीप के प्रतिबिम्ब अतिशीतल जैसे भाषा में दिपते हैं अर्थ और अभिप्राय और आशय जैसे राग का मोहतड-तड़ाक-तड-पड़-तड-तिनक-भूम छुटती है लड़ी
मैं यहाँ दो छोटी अमेरिकी कवितायेँ दे रहा हूँ जिन दोनों का सामान विषय है—बुढ़ापा….पर इन दोनों में इस विषय के साथ खेलने में अद्भुत
सिर्फ हम कर सकते हैं सोने का अवमूल्यन बाज़ार में उसके चढ़ने या गिरने की परवाह न करके. पता है, जहाँ भी सोना होता है
आप तो नाहक ही डर गए मैं तो अभी गुस्से में नहीं मुहब्बत में झपटता हूँ हर आने वाले पर उसकी अंगुलियां अपने मुंह में
पंकज चतुर्वेदी कल कुमाऊं विश्वविद्यालय के एकेडेमिक स्टाफ कालेज में चल रहे हिंदी के रिफ्रेशर कोर्स में हिंदी आलोचना पर व्याख्यान देने आये और मेरे
मैं रात, मैं चाँद, मैं मोटे कांच का गिलास मैं लहर ख़ुद पर टूटती हुई मैं नवाब का तालाब उम्र तीन सौ साल मैं नींद,
एक पिस्तौल की गोली यही कोई आधा इंच लम्बी फिर पौना इंच मान के चलिए उस लिबलिबी दबाने वाली उंगली को सिर्फ ज़रा सी पीछे
कुछ दिनों से मेरे मन में ये विचार आ रहा था कि विज्ञान में अच्छी शोहरत पाए लोगों की इतर प्रवृत्तियों के बारे में कुछ
गिरदा पर एक स्मृतिलेख रामनगर में इंटरनेशनल पायनियर्स द्वारा आयोजित पहली अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता(1977) के दौरान गिरीश तिवाड़ी (गिरदा) से पहली बार मिला था।