वर्तमान सन्दर्भ में उत्तरभारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन
वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर भारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन श्रीमती ललिता, शोधार्थिनी, संगीत विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल डा०रेखा साह, असिस्टेन्ट
वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर भारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन श्रीमती ललिता, शोधार्थिनी, संगीत विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल डा०रेखा साह, असिस्टेन्ट
महेश चंद्र पुनेठा- मुक्तिबोध के समय बहुत सारे आधुनिकतावादी कवि यह कहते हुए पाए जाते थे कि जनवाद,समाजवाद भीड़ की
(वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह और सुपरिचित कवि महेश पुुनेठा की यह महत्वपूर्ण बातचीत चार खंडों में अनुनाद पर आएगी। अनुनाद इस
कृष्णा सोबती का होना हिंदी कथा जगत की उपलब्धि है। अनुनाद की साथी कवि विपिन चौधरी ने उन पर अपना आत्मीय
क्या शानदार शवयात्रा थी तुम्हारी कि जिसकी तुमने जीते जी कल्पना भी न की होगी। ऐसी कि जिस पर बादशाह और
अचानक कवि मंगलेश डबराल की फेसबुक वॉल पर यह निबन्ध किसी उपहार की तरह मिला। बहुत पहले संगीत की ओर बुज़र्ग
बहुत समय कवि-कथाकार अनिरुद्ध उमट से सम्पर्क हो पाया है। उमट ख़ामोशी से काम करने वाले लेखक हैं। यहां छप रहे
यक्ष -युधिष्ठिर संवाद हमने पहले भी अनुनाद पर साझा किए थे, जिन्हें आप यहां पढ़ सकते हैं। उसी क्रम में यह
मन में ‘लोक’ शब्द आते ही स्मृति में भी ‘तीन प्रसंग’ आ जाते हैं एक में कबूतरी देवी गा रही हैं;
पूर्वकथन- अँधेरी आधी रात का पीछा करती गहरी घनेरी नींद | नींद में मैं, सपना और दादाजी | दादा जी सपनों